विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में मनाया गया ‘विश्व मृदा दिवस’

अल्मोड़ा। विश्व मृदा दिवस के अवसर पर पर्वतीय कृषि में मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और जल प्रबंधन प्रथाओं के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कुल 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें 28 किसान, कुमाऊं विश्वविद्यालय के 30 बी.एससी (एजी) छात्र और केंद्रीय विद्यालय, कौसानी के 50 स्कूली छात्र शामिल थे। फसल उत्पादन प्रभाग के प्रमुख डॉ. बीएम पांडे के साथ, डॉ. तिलक मंडल और प्रियंका खाती ने इस पहल का नेतृत्व किया। कार्यक्रम की शुरुआत सभी प्रतिभागियों और गणमान्य व्यक्तियों के गर्मजोशी से स्वागत के साथ हुई। विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम के दौरान डॉ. बीएम पांडे ने इसके महत्व पर प्रकाश डाला। कृषि रसायन विज्ञान के वैज्ञानिक डॉ. तिलक मंडल ने मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के महत्वपूर्ण पहलुओं और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। मृदा विज्ञान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुरेश चंद्र पांडे ने पहाड़ी कृषि में जल प्रबंधन प्रथाओं पर चर्चा की। किसानों, बीएससी (एजी) के छात्रों और स्कूली छात्रों सहित प्रतिभागियों ने मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता बढ़ाने और कृषि स्थिरता के लिए खासकर चुनौतीपूर्ण पहाड़ी इलाकों में जल संसाधनों को अनुकूलित करने के लिए टिकाऊ कृषि प्रथाओं पर मूल्यवान ज्ञान प्रदान किया। कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त ने पहाड़ी किसानों की वास्तविक समस्याओं को संबोधित किया और भावी पीढ़ियों के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर में पीजीएस के डीन डॉ. के. पी. रावेरकर ने मृदा स्वास्थ्य और जल प्रबंधन के व्यापक प्रभावों पर अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की। कार्यक्रम के समापन में मुख्य अतिथि एवं निदेशक द्वारा हवालबाग ब्लॉक से आये किसानों को 28 मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये गए।


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