वीपीकेएएस के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन और भट्ट की उन्नत खेती पर दिया जोर

अल्मोड़ा। सोयाबीन और भट्ट उत्तराखंड की पारंपरिक तथा पोषक तत्वों से भरपूर फसलें हैं, जो स्थानीय खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ बाजार में भी महत्वपूर्ण मांग बनाए रखती हैं। इन फसलों को और अधिक लाभकारी बनाने के लिए विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के वैज्ञानिक लगातार उन्नत किस्मों के विकास और प्रसार पर काम कर रहे हैं। संस्थान की वैज्ञानिकों की टीम ने 16 सितंबर को अल्मोड़ा जिले के रैलाकोट, दिगोटी और निरई गांव का दौरा किया। इस दौरान सोयाबीन के अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन का निरीक्षण किया गया और किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया गया। वैज्ञानिकों ने खेतों में फसल की वृद्धि अवस्था, पोषण प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण और कीट-रोग की स्थिति का मूल्यांकन किया। किसानों को रोयेंदार सूंडी, चौलीयोप्स एफिड, मण्डुकाक्ष पर्ण चित्ती रोग और फली दाह जैसी समस्याओं से निपटने के लिए समेकित कीट प्रबंधन तकनीकें बताई गईं। दौरे के दौरान वीएल 89 और वीएल भट 202 किस्मों के प्रदर्शन पर विशेष चर्चा हुई। वैज्ञानिकों ने किसानों को भरोसा दिलाया कि संस्थान द्वारा जल्द ही सोयाबीन और भट्ट से दूध, टोफू जैसे मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि किसानों को अतिरिक्त लाभ मिल सके। इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने कहा कि पारंपरिक और पौष्टिक फसलों का वैज्ञानिक प्रबंधन किसानों की आय बढ़ाने का सशक्त साधन है। उन्होंने जोर दिया कि फसल विविधीकरण और उन्नत किस्मों के उपयोग से क्षेत्रीय कृषि को स्थिरता और दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित होगा। टीम में डॉ. अनुराधा भारतीय (वरिष्ठ वैज्ञानिक, पौध प्रजनन), डॉ. कामिनी बिष्ट (वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विस्तार), डॉ. हेमलता जोशी और सुरेंद्र गोस्वामी शामिल रहे।

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