ऊर्जा निगम को बिल निरस्त करने, क्षतिपूर्ति करने के आदेश

हरिद्वार। जिला उपभोक्ता आयोग ने ऊर्जा निगम को उपभोक्ता सेवा में कमी करने का दोषी पाया है। आयोग ने एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिविजन ग्रामीण भगवानपुर को भेजे गए बिल आठ लाख पांच हजार 186 को निरस्त कर क्षतिपूर्ति दस हजार रुपये, शिकायत खर्च व अधिवक्ता फीस के रूप में दस हजार रुपये शिकायतकर्ता को अदा करने के आदेश दिए हैं।
शिकायतकर्ता मेसर्स जय मां भगवती पॉलीप्लास्ट इंडस्ट्रीयल एरिया रायपुर भगवानपुर के जनरल मैनेजर वैभव अग्रवाल ने ऊर्जा निगम के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने निगम से एक 75 किलोवॉट का बिजली कनेक्शन फैक्ट्री के लिए लिया था। शिकायतकर्ता नियमित रूप से बिल का भुगतान कर रहा था। जून 2020 में उसके परिसर में निरीक्षण किया गया और उससे पैसे मांगे गए। शिकायतकर्ता पैसे देने के लिए तैयार नहीं हुआ। इससे पूर्व निगम ने आठ लाख पांच हजार 186 रुपये का बिजली का बिल बनाकर भेजा दिया। आरोप लगाया था कि गलत रूप से शिकायतकर्ता को इतना अधिक बिल बढ़ाकर दिया गया है। यही नहीं, उक्त अवधि में शिकायतकर्ता द्वारा इतना बिजली खर्च नहीं किया जा रहा है। जिस पर शिकायतकर्ता ने गलत बिल भेजने का आरोप लगाते हुए आयोग की शरण ली। शिकायत की सुनवाई के बाद आयोग अध्यक्ष कंवर सैन, सदस्य अंजना चड्ढा और विपिन कुमार ने ऊर्जा निगम को उपभोक्ता सेवा करने में दोषी ठहराया है।