यूकेडी ने भू-कानून समिति की लचर रिपोर्ट पर उठाए सवाल

देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल ने भू-कानून समिति द्वारा मुख्यमंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल ने यहां जारी बयान में कहा कि इसमें जमीनों को खुर्दबुर्द होने से बचाने के लिए कुछ नहीं कहा गया है। यह उत्तराखंड की भूमि को नए तरीके से खरीदे-बेचे जाने के सुझावों वाला पुलिंदा मात्र है। इससे जमीनों की अवैध खरीद बिक्री और तेज होगी। यूकेडी नेता ने कहा कि भाजपा के तमाम नेताओं को मुफ्त में सैकड़ों बीघा जमीन लीज पर दे दी गई है, उन जमीनों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। चाय बागान की हजारों बीघा जमीन खुर्दबुर्द की जा रही है। इसमें सरकार तथा अधिकारी शामिल हैं, लेकिन इन जमीनों के बारे में भी भू- कानून समिति की रिपोर्ट में चुप्पी साध ली गई है। रिंग रोड स्थित चाय बागान की जमीन पर भारतीय जनता पार्टी का दफ्तर बनाने पर उन्होने सवाल उठाते हुए कहाकि यह जमीन सरकार की है, लेकिन इस तरह की जमीनों के बारे में भू-कानून समिति मौन है। इस तरह की जमीनों के बारे में हाई कोर्ट ने भी कड़ा रुख अपनाया है। लेकिन भू-कानून समिति की रिपोर्ट में इस पर चुप्पी साधा जाना आश्चर्यजनक है। यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि होटल, खेती किसानी और औद्योगीकरण के नाम पर जमीनों को खुर्दबुर्द करने का यह नए तरीके का दस्तावेज है। यूकेडी को भू-कानून समिति से काफी उम्मीदें थी, लेकिन 80 पेज की इस रिपोर्ट में जो संस्तुतियां की गई है, वह उत्तराखंड के आम जनमानस को निराश करने वाला है। उद्योग धंधों और विभिन्न परियोजनाओं के नाम पर जो जमीनें दी गई है, उन पर आज भूमि के मालिक उद्देश्य से हटकर निर्माण कर रहे हैं, लेकिन इस तरह के कार्यों को रोकने पर भू-कानून समिति की रिपोर्ट मौन है। उन्होंने उत्तराखंड में प्रभावशाली भू-कानून लागू नहीं करने पर व्यापक आंदोलन की चेतावनी दी है।


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