टूलकिट में शामिल अदृश्य हथौड़ा

कुमार विनोद
घर गृहस्थी में इस्तेमाल होने वाली चीजों का ऊपर-नीचे, इधर-उधर हो जाना जितनी सामान्य-सी घटना है, उतना ही सामान्य है, ऐसे ही किसी अवसर पर बोले जाने वाला यह, या फिर इससे मिलता-जुलता अन्य कोई वाक्य, ‘वह चीज ही क्या जो वक्त पडऩे पर मिल जाए।’ यह बात दीगर है कि ऐसे एक ही वाक्य की अदायगी अलग-अलग घरों में, अलग-अलग लोगों द्वारा, अलग-अलग समय पर, अलग-अलग किस्म के ऐसे कलात्मक ढंग से की जाती है, जिसका ‘फुल टू’ आनंद अड़ोस-पड़ोस में रहने लोग बिना टिकट लिए उठाते हैं।
अब बात चल ही पड़ी है तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि अपनी श्रीमती जी की नितांत व्यक्तिगत मेकअप किट, जिसे वे किसी के भी साथ कभी शेयर नहीं करतीं, से प्रेरणा लेकर, मैंने भी घरेलू इस्तेमाल के लिए एक छोटी-सी टूलकिट बनाकर रखी हुई है, जिसमें अमूमन तीन-चार तरह के स्क्रू-ड्राइवर (पेचकस), छोटा हैमर (हथौड़ा), रेंच, कटर और प्लायर (पलास) जैसे गिनती के औज़ार ही शामिल रहते हैं, लेकिन छोटे मंत्रिमंडल की तरह आकार में छोटी होने के बावजूद इस किट के माननीय सदस्यों की एकजुटता बनाए रखना अपने आप में महाभारत की लड़ाई लडऩे से जऱा भी कम नहीं।
अब होता ये है कि जब कभी हथौड़े की आवश्यकता पड़ती है तो स्क्रू-ड्राइवर, रेंच, कटर, पलास, ये सभी इक_े होकर बिना किसी न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग किए, बिना शर्त समर्थन देने के लिए हाजिर हो जाते हैं। बस दिखाई नहीं देता तो सिर्फ हथौड़ा, जो कि उस समय या तो मेरे किसी पड़ोसी के घर के किसी कोने में आराम फरमा रहा होता है, वही पड़ोसी जिसके साथ मैंने कुछ ही दिन पहले, उसकी रिक्वेस्ट स्वीकार करते हुए, अपनी ‘टूलकिट शेयर’ की थी। या फिर वही हथौड़ा हाल ही में हमारे घर पर, काफी मान-मनौव्वल के बाद, बड़ी नाज़-ओ-अदा के साथ तशरीफ लाए किसी इलेक्ट्रीशियन, प्लम्बर, कार्पेंटर आदि की टूलकिट में गलती से शामिल होकर किसी दर-ओ-दीवार, फर्श या फिर अन्य किसी माकूल जगह को तोडऩे में मसरूफ़ होता है।
कुल मिलाकर इतना ही कि टूलकिट शेयर करने से इनकार न कर पाने की वजह से, एक अदने से हथौड़े या फिर किसी दूसरे औज़ार की गुमशुदगी मेरी परेशानी का सबब बन जाती है। इधर सुनते हैं कि कोई टूलकिट ऐसी भी है कि जिसे शेयर आदि करने से मामला पुलिस, कोर्ट कचहरी, गिरफ्तारी आदि की दिशा में मुडऩे तक की नौबत भी आ सकती है। अपनी परेशानी भूलकर सोचता हूं कि गिरफ्तारी तक का बायस बनने वाली उस चर्चित टूलकिट में यकीनन मेरे वाली मामूली-सी टूलकिट में शामिल हथौड़े से भी बड़ा कोई अदृश्य हथौड़ा ज़रूर शामिल रहा होगा, जिसे चलाने के लिए कुछ खास किस्म के हुनरमंद हाथों की दरकार होती होगी!