टिंबर ट्रेल हादसे में कब्जे में लिए दस्तावेज, होगी मजिस्ट्रेटी जांच, सरकार ने गठित की कमेटी

परवाणू/ सोलन। हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार परवाणू में टिंबर ट्रेल रोपवे हादसे की जांच शुरू हो गई है। टिंबर ट्रेल रिसॉर्ट (टीटीआर) के ट्रॉली ऑपरेटरों के बयान दर्ज किए गए हैं। रोपवे से जुड़े दस्तावेज भी कब्जे में लिए गए हैं। रिसॉर्ट कर्मियों के रोपवे प्वाइंट के पास जाने पर रोक लगा दी गई है। मंगलवार सुबह करीब 11 बजे पुलिस की टीम एएसपी सोलन अशोक वर्मा की अगुवाई में रिसॉर्ट पहुंची। यहां ट्रॉली को ऑपरेट करने वाले तकनीकी कर्मचारियों से पूछताछ के बाद जांच टीम ने रोपवे प्वाइंट का निरीक्षण किया। एएसपी सोलन अशोक वर्मा ने बताया कि अब रोपवे के लिए बनी तकनीकी कमेटी के साथ आगे की जांच की जाएगी।

बताया जा रहा है कि बीते मई में तकनीकी कमेटी ने रोपवे का निरीक्षण किया था। उन्होंने रिपोर्ट सही पाए जाने के बाद आगामी छह माह के संचालन के लिए हरी झंडी दी थी। अधीक्षण अभियंता (मेकेनिकल) लोक निर्माण विभाग की अध्यक्षता में बनी विशेषज्ञों की टीम ने भी बीते दिसंबर में निरीक्षण किया था। दोनों रिपोर्टों को सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। निरीक्षण के एक माह बाद ही रोपवे में तकनीकी खराबी आने से अब कई सवाल खड़े हो गए हैं।
अधिशासी अभियंता ई. केके रावत ने बताया कि रोपवे का मई में निरीक्षण किया गया था और नॉन डिस्ट्रेक्टिव टेस्ट (एनडीटी) हुआ था। इस रिपोर्ट में कोई खामी नहीं पाई गई थी। जांच की रिपोर्ट भारत सरकार की मान्यता प्राप्त लैब से आई थी। उल्लेखनीय है कि इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जांच के आदेश दिए थे। टीटीआर प्रबंधक के खिलाफ परवाणू थाना में लापरवाही का मामला भी दर्ज किया गया है।

ऐसे होती है रोपवे की जांच
रोपवे जांच के लिए दो तरह के टेस्ट होते हैं। पुर्जों और वायर रोपवे का अल्ट्रासोनिक टेस्ट होता है। इसमें पुर्जों और वायर रोप में छोटी से छोटी खामी का पता लगाया जाता है। वायर रोप की जांच के लिए केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान धनवाद झारखंड लैब की ओर से हर छह माह बाद जांच की जाती है। एनडीटी टेस्ट में पुर्जों और अन्य चीजों में फाल्ट का पता लगाया जाता है। यह टेस्ट नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेटरीज की ओर से किया जाता है। कुछ पुर्जों को छह माह में बदलना पड़ता है।

दो तरह की टीमें करती हैं जांच
रोपवे की जांच दो तरह की टीमें करती हैं। पहली टीम अधीक्षण अभियंता की अगुवाई में जांच करती है जबकि दूसरी टीम अधिशाषी अभियंता की अगुवाई में निरीक्षण करती है। अधीक्षण अभियंता की निगरानी में टीम साल में एक बार निरीक्षण करती है। इस दौरान सभी तरह की जांच होती है, जिसका रिकॉर्ड लॉगबुक में भी रहता है। दूसरी टीम हर छह माह में जांच करती है। इस दौरान भारत की मान्यता प्राप्त लैब से भी विशेषज्ञों को जांच में शामिल किया जाता है।

छह घंटे हवा में अटकी थी 11 लोगों की सांसें
बीते सोमवार को केबल कार रोलर खराब होने की वजह से ट्रॉली अचानक रास्ते में ही रुक गई थी। इससे जमीन से 150 फीट ऊंचाई पर दिल्ली के पांच परिवारों के 10 पर्यटकों सहित 11 लोगों की सांसें छह घंटे तक हवा में अटकी रहीं। बाद में इन सभी को रस्सी के सहारे रेस्क्यू कर उतारा गया था।