सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट को दी हरी झंडी

मोदी सरकार को बड़ी राहत
नई दिल्ली ,05 जनवरी(आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संसद की नई बिल्डिंग बनने का रास्ता साफ हो गया है। शीर्ष अदालत ने सेंट्रल विस्टा प्रॉजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने संसद भवन के शिलान्यास को मंजूरी दे दी थी। जस्टिस ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने सुबह 10.30 ये फैसला सुनाया। अब तक कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट के काम पर रोक लगा रखा था।
इस पीठ ने पिछले साल पांच नवंबर को इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इन पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा। हालांकि इसी दौरान न्यायालय ने सात दिसंबर को केन्द्र सरकार को सेंट्रल विस्टा परियोजना के आयोजन की अनुमति दे दी थी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को को नए संसद भवन की इमारत का शिलान्यास किया था। 7 दिसंबर को हुई पिछली सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि उसे शिलान्यास करने पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई निर्माण, तोडफ़ोड़ या पेड़ गिराने का काम ना हो।
राष्ट्रीय राजधानी में सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत संसद के नए परिसर, केंद्रीय मंत्रालयों के लिए सरकारी इमारतों, उपराष्ट्रपति के लिए नए इनक्लेव, प्रधानमंत्री के कार्यालय और आवास समेत अन्य निर्माण किए जाने हैं। परियोजना का काम कर रहे केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने अनुमानित लागत को 11,794 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 13,450 करोड़ रुपये कर दिया है। उम्मीद की जा रही है कि 2022 में यह प्रॉजेक्ट पूरा हो जाएगा और आजादी के 75 वर्ष पूरा होने पर संसद सत्र नए भवन में ही चलेंगे।
नए संसद भवन में लोकसभा का आकार मौजूदा से तीन गुना ज्यादा होगा। राज्यसभा का भी आकार बढ़ेगा। कुल 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की ओर से कराया जाएगा। नए संसद भवन का डिजाइन एचसीपी डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है।