
देहरादून(आरएनएस)। चॉकडाउन हड़ताल स्थगित करने के बाद शिक्षकों ने स्कूलों में पढ़ाना भले ही शुरू कर दिया है, लेकिन बाकी कामों से हाथ खींच लेने ने नया संकट खड़ा कर दिया है। बोर्ड परीक्षा पुनर्मूल्यांकन का अभी तक नहीं हो पाया है। कई स्कूलों में बोर्ड परीक्षा के फार्म तक नहीं भरे जा सके हैं। साथ ही अन्य शिक्षणेत्तर गतिविधियां भी आंदोलन की वजह से प्रभावित हो रही हैं। राजकीय शिक्षक संघ ने आंदोलन को लेकर सभी जिला और ब्लॉक कार्यकारिणियों को निर्देश जारी किए हैं। संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान का कहना है कि सभी शिक्षक पढ़ाने का मूल काम कर रहे हैं। आंदोलन के तहत बाकी अन्य कार्यों से शिक्षकों ने खुद को अलग रखा है। राज्यभर से शाखा, ब्लॉक और जिला इकाई से इस संबंध में पत्र भी आ रहे हैं कि उनके यहां शिक्षकों ने पढ़ाई के अलावा दूसरी जिम्मेदारियां का बहिष्कार किया हुआ है। आंदोलन का यह पड़ रहा है असर आंदोलन की वजह से बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट सुधार के लिए आवेदन करने वाल छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। 10 और 11 सितंबर को प्रस्तावित पुनर्मूल्यांकन भी शिक्षकों के नहीं आने स्थगित करना पड़ा। अगस्त में पुनर्मूल्यांकन का काम हो जाना चाहिए था, जो अभी तक नहीं हो पाया है। कई स्कूलों में बोर्ड परीक्षा फार्म नहीं भरे जा सके हैं। कुछ स्कूलों से छात्रों की दैनिक हाजिरी भी ऑनलाइन नहीं भेजी जा रही है। एनसीसी, एनएसएस और स्काउट से जुड़ी गतिविधियों से भी शिक्षक खुद को अलग करने लगे हैं। कुछ प्रभारी प्रधानाचार्यों के प्रभार छोड़ने प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। आहरण-वितरण के अधिकार वापस करने से आपदा में क्षतिग्रस्त माध्यमिक स्कूलों की मरम्मत का काम भी इससे अटक सकता है। साथ ही शिक्षकों ने विज्ञान महोत्सव, प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाओं से भी खुद को अलग किया है।
शिक्षकों के आंदोलन को खत्म करने को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से सीधे कोई प्रयास अभी तक नहीं हुए हैं। हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल होने की वजह से शिक्षकों ने खुद ही चॉकडाउन हड़ताल स्थगित कर दी थी। शिक्षा महानिदेशक ने आंदोलन के शुरूआती दौर में जरूर वार्ता की थी, लेकिन शिक्षक प्रधानाचार्य सीधी भर्ती प्रक्रिया निरस्त करने की मांग पर अड़े रहे। अब शिक्षा विभाग ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार कर रहा है, जिन्होंने भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए एनओसी ली है और इसका ब्यौरा हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने कहा कि छात्र हितों को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। अगर सख्ती करने की जरूरत पड़ी तो सख्ती भी की जाएगी। क्योंकि शिक्षक संघ ने खुद हाईकोर्ट में शपथ पत्र दिया है और अब अगर उसका उल्लंघन हो रहा है तो हाईकोर्ट को अवगत कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोहरा रवैया बिल्कुल नहीं चलेगा। विभाग ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार कर रहा है, जिन्होंने प्रधानाचार्य सीधी भर्ती में शामिल होने के लिए एनओसी ली है और वह आंदोलन भी कर रहे हैं। ऐसे शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी जाएगी। क्योंकि वह एक तरफ भर्ती परीक्षा में भी शामिल होना चाहते हैं और दूसरी तरफ इसके विरोध में आंदोलन में भी शामिल हैं। शिक्षा महानिदेशक ने कहा कि बोर्ड परीक्षा सुधार रिजल्ट मूल्यांकन के लिए अगर शिक्षक नहीं आते हैं तो इसकी भी वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाएगी। साथ ही बोर्ड परीक्षा फार्म भरने में देरी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।