सेब की फसल तैयार ..  अफसरों के साथ ही कृषि मंत्री के चक्कर काट रहे काश्तकार

देहरादून(आरएनएस)।  हर्षिल घाटी में सेब की फसल तैयार हो चुकी है, परेशान काश्तकारों की बात देहरादून तक भी पहुंची है। काश्तकार 2013 के फार्मूले का सुझाव शुरूआत से दे रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है। हर्षिल घाटी का सेब देश दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां हर साल 30 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। इस बार आपदा की मार ऐसी पड़ी कि यहां के काश्तकारों को पांच करोड़ रुपये की चपत पहले ही लग चुकी है। अकेले धराली में 6.10 हेक्टेअर सेब की फसल पूरी तरह बर्बाद हुई है। अब इस पूरी घाटी में जो फसल बची है, उसे भी बाजार नहीं मिल पा रहा है। हर्षिल धराली तक खरीदार नहीं पहुंच रहे हैं, ऐसे में काश्तकार देहरादून में अफसरों के साथ ही कृषि मंत्री के चक्कर काट रहे हैं। पिछले पांच दिन में इस क्षेत्र के 10 से ज्यादा किसान कृषि मंत्री से मिल चुके हैं। वह सीधे तौर पर प्रस्ताव रख चुके हैं कि 2013 की आपदा की तरह इस बार भी सरकार उनके सेब को सीधे बगीचों से खरीद ले, लेकिन अभी तक इसे मंजूरी नहीं मिल पाई है। कृषि मंत्री गणेश जोशी के मुताबिक सरकार काश्तकारों की समस्या को लेकर गंभीर है और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने के आदेश विभाग को दिए गए हैं। साथ ही सेब को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए भी हरसंभव मदद की जा रही है। काश्तकारों के सुझाव पर भी विचार किया जा रहा है। सेब का समर्थन मूल्य सिर्फ 13 रुपये सरकार ने सी ग्रेड सेब का समर्थन मूल्य इस साल 13 रुपये किलो तय किया है। सरकार इसकी खरीद 15 नवंबर तक करेगी। सरकारी खरीद में ओले की वजह से दाग लगे फलों को भी खरीदा जाना है। लेकिन ए और बी ग्रेड के सेब को काश्तकार सीधे बाजार में बेच सकते हैं। इस बार हर्षिल घाटी के काश्तकार चाहते हैं कि सरकार ए और बी ग्रेड के सेब का समर्थन मूल्य घोषित कर इन्हें सीधे बगीचों से ही खरीदे।

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