Site icon RNS INDIA NEWS

सावन का अंतिम सोमवार को शिवालयों में उमड़ी भीड़

हरिद्वार। पांचवां और सावन का अंतिम सोमवार के दिन धर्मनगरी के शिवालयों में जलाभिषेक को भीड़ उमड़ी। भगवान शंकर की पूजा अर्चना के साथ ही विधिवत सावन का समापन हो गया। सोमवार को भगवान शंकर अपनी सुसराल कनखल दक्षेश्वर मंदिर से कैलाश के लिए रवाना हो गए। मान्यता है कि सावन का महीना महादेव को प्रिय है। ऐसे में सावन में भोलेनाथ की पूजा और उपासना का विशेष महत्व होता है। यूं तो सावन महीने का ही खास महत्व होता है, लेकिन इस बार सवान का आखिरी सोमवार भी कई मायनों में खास है। सावन के आखिरी सोमवार को प्रीति और आयुष्मान योग बना था। मान्यता है कि इस शुभ संयोग में पूजा करने से पूजा का फल दोगुना मिलता है। मान्यता है कि भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। सावन के आखिरी सोमवार के दिन धर्मनगरी के मंदिरों में स्थानीय लोगों की भीड़ रही। सुबह 9 बजे से पहले भीड़ अधिक दिखाई दी। 9:29 बजे रक्षाबंधन का त्योहार होने के कारण लोग त्योहार मनाते हुए दिखाई दिये। शहर के दक्षेश्वर, बिल्वकेश्वर, नीलेश्वर, दरिद्र भंजन, शिव मंदिर, गुप्तेश्वर, पीपलेश्वर समेत अन्य शिवालयों में लोगों ने जलाभिषेक किया। इस दिन लोगों ने भगवान शंकर की विशेष पूजा के साथ ही रद्राभिषेक भी कराया। कैलाश के लिए निकले शिव मान्यता है कि कनखल राजादक्ष के दिये एक वचन के मुताबिक भगवान शंकर सावन माह में कनखल के मंदिर में विराजमान होते है। सावन की समाप्ति के दिन भ्रमण कर भगवान अपने निवास कैलाश के लिए रवाना हो जाते है। मान्यताओं के अनुसार भगवान सोमवार को हरिद्वार से कैलाश के लिए चले गए। अब अगले साल सावन माह में कनखल के दक्षेश्वर मंदिर में आएंगे।


Exit mobile version