सरकार से टीईटी अनिवार्यता मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई

देहरादून(आरएनएस)। बेसिक शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता मामले में शिक्षकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। शिक्षक और उनके आश्रित इस वजह से तनाव में हैं। अभी तक मामले में सकारात्मक समाधान की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जा सके हैं। उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संगठन ने मामले में सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संगठन की प्रांतीय सदस्य समिति के पदाधिकारी मनोज तिवारी ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, विभागीय उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है। तिवारी ने कहा कि न्यायालय में उचित पैरवी नहीं होने के कारण यह स्थिति बनी है। इस मामले में वैधानिक और व्यावहारिक पहलुओं को अदालत के संज्ञान में नहीं लाया गया। क्योंकि वर्ष 2000 पूर्व बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति की न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट होती थी, जबकि टीईटी के लिए न्यूनतम अर्हता स्नातक है। ऐसे में टीईटी अनिवार्य होने पर भी कई शिक्षक इसे नहीं कर पाएंगे। साथ ही 45 फीसदी से कम अंक वाले स्नातक योग्यताधारी शिक्षक भी टीईटी की अर्हता नहीं रखते हैं। साथ ही डीपीएड, बीपीएड योग्यता धारी शिक्षक और मृतक आश्रित कोटे के तहत नॉन बीटीसी शिक्षक भी पात्रता शर्तों में नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि संगठन भी इस मामले में कानूनी प्रक्रिया सहित सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है।