सरकार ने पीएलआई योजना के तहत ड्रोन उद्योग से आवेदन मांगे

नई दिल्ली। सरकार ने भारत में ड्रोन के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विनिर्माताओं से उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत निवेश के प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। इस योजना के अंतर्गत सरकार ने ड्रोन और उसके कल पुर्जों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए तीन साल में कुल 120 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है।

योजना का लाभ ड्रोन और ड्रोन पुर्जों में मूल्यवर्धन के कम से कम 20 प्रतिशत के बराबर रखा गया जो किसी क्षेत्र की पीएलआई योजना में प्रोत्साहन के बससे ऊंचे अनुपातों में एक है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने शुक्रवार को विज्ञप्ति में कहा, ‘योजना के अनुसार ड्रोनों और ड्रोन पुर्जों की कुल बिक्री के हिसाब से न्यूनतम मूल्य-संवर्धन मानक 50 प्रतिशत की बजाय 40 प्रतिशत रखा गया है, जो ड्रोनों के लिये विशेष सुविधा है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों तथा स्टार्ट-अप के लिये पात्रता मानक मामूली स्तरों पर है।’

मूल्य-संवर्धन की गणना ड्रोन और ड्रोन पुर्जों (जीएसटी के हिसाब) की वार्षिक बिक्री तथा उसमें से ड्रोन और ड्रोन पुर्जों के खरीद खर्च (जीएसटी के हिसाब से) को निकाल कर निर्धारित की जायेगी। पीएलआई दर को पिछले तीन वर्षों से स्थिर रखा गया है, जो ड्रोनों के लिये विशेष सुविधा है।
आवेदन जमा कराने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2022 तक है। योजना के दायरे में ड्रोन सम्बंधी सॉफ्टवेयर के विकासकर्ताओं को भी रखा गया है। उड्डयन मंत्रालय ने कहा,एक निर्माता के लिए पीएलआई कुल वार्षिक लागत के 25 प्रतिशत पर सीमित होगा। जिससे लाभार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।


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