संतों ने खेली फूलों की होली

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है होली पर्व : स्वामी विशोकानन्द भारती

हरिद्वार। निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर राजगुरू स्वामी विशोकानन्द भारती महाराज एवं अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वात्मानन्द सरस्वती महाराज के सानिध्य में महामण्डलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती एवं महामण्डलेश्वर स्वामी यमुनापुरी द्वारा कनखल स्थित महामृत्युन्जय मठ में भव्य संगीतमय होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में संत महापुरूषों ने एक दूसरे से फूलों की होली खेली। सभी को होली की शुभकामनाएं देते हुए निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर राजगुरू स्वामी विशोकानन्द भारती महाराज ने कहा कि सनातन धर्म पर्वो का गुलदस्ता है। प्रत्येक पर्व समाज को एक संदेश देता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व होली एकता व भाईचारे को बढ़ाने वाला पर्व है। सभी को मिलजुल कर होली मनाने के साथ गरीब जरूरतमंदों का भी ध्यान अवश्य रखना चाहिए। अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वात्मानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि होली पर्व ईष्र्या, नफरत, द्वेष एव अहंकार की पराजय का प्रतीक है। इस अवसर पर सभी को सदाचार, भाईचारे व सकारात्मकता जैसे गुणों को जीवन में अपनाकर एक आदर्श व सभ्य समाज के निर्माण का प्रण लेना चाहिए। यही होली पर्व की सार्थकता है। म.म.स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती व म.म.स्वामी यमुनापुरी महाराज ने होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हर त्यौहार का अपना एक रंग होता है, जिसे आनंद या उल्लास कहते हैं। होली को रंगों के त्यौहार के रूप में मनाते हैं। इसमें एक और रंगों के माध्यम से संस्कृति के रंग में रंगकर सारी भिन्नताएं मिट जाती हैं। उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहकर पारंपरिक भारतीय तरीके से होली मनाएं। इस अवसर पर म.म.स्वामी अर्जुनपुरी महाराज, म.म.स्वामी प्रेमानंद महाराज, म.म.आनन्द चैतन्य सरस्वती महाराज, म.म.स्वामी प्रखर महाराज, म.म.स्वामी कमलपुरी, म.म.स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती, म.म.स्वामी आत्मानंद, म.म.राधिका, म.म.अभयानंद, म.म.अक्षरानंद, म.म.स्वामी सुरेशानंद स्वामी ऋषिश्वरानंद, सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी शरदपुरी सहित कई संत महापुरूष मौजूद रहे। महामण्लेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती ने सभी संतों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय भी मौजूद रही।