रोजी रोटी की व्यवस्था में जुटे लोगों पर भारी पड़ने लगी कोविड की लहर

देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना के बढ़ते संक्रमण की मार पर्यटन कारोबार के जरिए रोजी रोटी की व्यवस्था में जुटे लोगों पर पड़ने लगी है। अकेले रामनगर के करीब ढाई सौ रिजॉर्ट व होटलों के मालिकों ने 50 प्रतिशत वर्करों को घर भेज दिया है। कारोबारियों का कहना है कि संक्रमण की रफ्तार बढ़ती रही तो जल्द पूरा काम बंद करने की नौबत तक आ सकती है।  रामनगर व आस-पास करीब ढाई सौ रिजॉर्ट व होटल हैं। कॉर्बेट रिजाट्र्स व होटल एसोसिएशन के अनुसार यहां करीब 20-25 हजार लोगों को रोजगार मिलता है।
रात्रि विश्राम की बेहतर व्यवस्था व आस-पास कॉर्बेट का नजारा देखने लोग दूर दराज से आते हैं। बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों के अनुसार  भोजन, पहनावा आदि की व्यवस्था की जाती है। ऐसे में कई लोगों को रोजगार मिलता है। लेकिन कोरोना की तीसरी लहर का असर पर्यटन पर पड़ने लगा है। रोजाना कारोबारियों को 30 से 40 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। जिन पर्यटकों ने बुकिंग कराई थी, वह निरस्त करा रहे हैं। वर्तमान में पर्यटकों की आमद सिर्फ 25 फीसदी तक रह गई है।

रेस्टोरेंटों में सन्नाटा
रामनगर में काशीपुर रोड, सावल्दे, रानीखेत, ढिकुली आदि रोड के आस-पास दर्जनों रेस्टोरेंट हैं। कोरोना की तीसरी लहर इन पर भी पड़ रहा है। काशीपुर रोड स्थित एक रेस्टोरेंट के मालिक राकेश चौहान बताते हैं कि अब वर्करों की तनख्वाह भी नहीं निकल रही है।

आधे वेतन का वादा
विनोद कुमार, हेम आर्या, सीमा जोशी, विवेक कुमार आदि का कहना है कि उन्हें रिजॉर्ट मालिकों ने अपनी समस्याएं बताकर घर जाने को कहा है। उनसे वादा किया गया है कि आधी तनख्वाह देंगे। संक्रमण कम होते ही काम पर बुलाया जाएगा।

कॉर्बेट पर भी असर, पर्यटक करा रहे बुकिंग निरस्त
कॉर्बेट नेशनल पार्क में आने वाले पर्यटक भी तेजी से बुकिंग निरस्त करा रहे हैं। वहीं पार्क के निदेशक राहुल ने बताया कि कोविड के मानकों के अधीन ही पर्यटकों को एंट्री दी जा रही है।
सरकार से मदद मांगी गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब कोरोना की तीसरी लहर कहर बनकर बरस रही है। करीब 50 प्रतिशत वर्करों को घर भेजा गया है।
हरिमान सिंह, अध्यक्ष रिजॉर्ट एसोसिएशन

कई लोगों को होटल व रिजॉर्ट से रोजगार मिलता है। स्थानीय युवा भी काम में लगे हुए थे। कोरोना की तीसरी लहर में पर्यटन कारोबार को भारी नुकसान हुआ है।
मीनाक्षी असवाल, निदेशक, वुडकेस्टल रिजॉर्ट

रिजॉर्ट नहीं चल रहा है। पर्यटकों ने बुकिंग निरस्त करा दी है। इससे लाखों का नुकसान हो रहा है। सरकार चुनाव में लगी है। वर्करों को घर जाने को कहा है। जितना संभव होगा, वर्करों की मदद करेंगे।
राजेंद्र शर्मा, रिजॉर्ट मालिक

कोरोना की दूसरी लहर के बाद बड़ी मुसीबत से काम मिला। लेकिन कोरोना की तीसरी लहर में हम बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में घर कैसे चलेगा, कौन हमारी मदद करेगा, कुछ समझ नहीं आ रहा है।
कमर मोहम्मद, वर्कर

बाजारों की रौनक फिर पड़ी फीकी
हल्द्वानी में कोरोना अपना कहर फिर से बरपाने लगा है। इसका खासा असर व्यापार पर पड़ रहा है। बाजारों में कोरोना संक्रमण के चलते कहीं भी भीड़ देखने को नहीं मिल रही है। अधिकांश दुकादार ग्राहकों का इंतजार करते नजर आ रहे हैं। दो माह पूर्व तक बाजार में त्योहारी सीजन और सहालग के चलते खासी भीड़ थी। व्यापारी इससे उम्मीद लगा रहे थे कि अब बाजार उठेगा। लोगों को दिक्कतें नहीं होंगी। मगर कोरोना ने फिर से व्यापारियों के लिए असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।

कुमाऊं का सबसे बड़ा शहर हल्द्वानी चुनाव के साथ-साथ कोरोना की चपेट में है। यहां आए दिन संक्रमण बढ़ने के साथ-साथ कई इलाके कंटेंनमेंट जोन बनाए जा रहे हैं। इससे लोगों में एक तरफ दहशत का माहौल है तो दूसरी तरफ बाजार से रौनक गायब होती जा रही है। व्यापारियों के पास पुराने स्टॉक के चलते नया स्टॉक रखने तक को जगह नहीं है। वहीं शॉपिंग मॉल में खास अंतर नहीं बताया जा रहा है।

ऊन-गरम कपड़ा बाजार
बाजार में ठंड के चलते व्यापारियों ने गरम कपड़ों का खासा स्टॉक रखा। ऊन भी भारी मात्रा में रखा गया। मगर मौसम ने इस बार कई रंग बदले। किसी दिन अत्यधिक ठंड तो धूप खिलते ही लोगों को गर्मी महसूस हुई। इससे गर्म कपड़ों का बाजार उभर नहीं सका। हालांकि बीच में कोरोना काल की तुलना में दो फीसदी व्यापार में इजाफा हुआ है।
सनी नागपाल

जूता कारोबार
ई-मार्केटिंग का प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। ऐसे में लोग काम आसान बनाने के लिए ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं। इससे बाजार में जूता कारोबार को खासा नुकसान पहुंच रहा है। व्यापारियों का स्टॉक निकालना भी मुश्किल हो रहा है। यह हाल तब है, जब एक तरफ कोरोना संक्रमण और दूसरी तरफ ई-मार्केटिंग का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है।
दानिश इंतजार

बर्तन कारोबार
दीपावली और सहालग के सीजन के चलते बर्तन बाजार में खासा भीड़ थी। यहां लोग तमाम प्रकार के बर्तन खरीदने भारी संख्या में पहुंच रहे थे। जनवरी माह की शुरुआत में जैसे ही कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा, वैसे ही बर्तन बाजार भी गिरने लगा। अब बर्तनों की दुकानों में केवल ग्राहकों का ही इंतजार हो रहा है। लोग न के बराबर बाजार पहुंच रहे हैं।
राजीव अग्रवाल

इलेक्ट्रिक बाजार
कोरोना काल में इलेक्ट्रिक कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया था। सितंबर के बाद ठंड में उम्मीद थी कि हीटर आदि से व्यापार में इजाफा होगा। ठंड हुई दुकानों में माल भी एकत्र किया गया। मगर बाजार केवल दो फीसदी ही उभर सका। ठंड के कारण हीटर आदि उपकरण तो बिके, मगर कोरोना के कारण व्यापार दो फीसदी में ही सिमट गया।
सतवंत सिंह


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