
अल्मोड़ा। नगर के एक होटल सभागार में मंगलवार को राष्ट्र नव रचना संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ संयोजक डॉ. प्रवीण बिष्ट ने स्वागत भाषण के साथ किया। भूमिका रखते हुए सुरेश सुयाल ने कहा कि अल्मोड़ा ने सदैव अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर की परंपरा को जीवित रखा है, और यह धरोहर आगे भी बनी रहनी चाहिए। मुख्य अतिथि पुणे के प्रोफेसर क्षितिज पाटुकले ने कहा कि देशिक शास्त्र भारतीय ज्ञान-संपदा का सार है, जो देश की रक्षा और व्यवस्था दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैसे योग पूरे विश्व के लिए उपयोगी है, वैसे ही देशिक शास्त्र भी वैश्विक स्तर पर उपयोगी सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा ही विश्व को बचा सकती है। ग्रीन मैन ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध विजयपाल बघेल ने कहा कि मनुष्य के अतिक्रमण से प्रकृति नाराज है, किंतु मां भगवती अपने पुत्रों का बुरा नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि विकास तभी संभव है जब वह प्रकृति के साथ सामंजस्य में हो, और यही दृष्टिकोण आपदाओं से बचा सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है, लेकिन एकात्मता हमें जोड़कर रखती है। उन्होंने बताया कि दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन अल्मोड़ा की धरती से भी जुड़ा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि देशिक शास्त्र में संपूर्ण स्वतंत्रता का सपना निहित है, जो अब साकार होता दिख रहा है। जैसे गीता आध्यात्मिकता का सार है, वैसे ही देशिक शास्त्र सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक विषमताओं का सार प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि यदि नई पीढ़ी को पारिवारिक मूल्यों के साथ तैयार नहीं किया गया तो रिश्तों की पहचान ही धुंधली हो जाएगी। सर्वसमावेशी समाज ही विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। संगोष्ठी के समापन पर डॉ. भूपेंद्र वल्दिया ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को आर्थिक, सांस्कृतिक और नैतिक दृष्टि से विश्व नेतृत्व करना होगा और नंबर एक राष्ट्र के रूप में स्थापित करना होगा। संगोष्ठी के आयोजन में मंगल सिंह बिष्ट, डॉ. भूपेंद्र वल्दिया, मनोज अग्रवाल, दीपक पांडे, विनोद भट्ट, गोविंद सिंह बिष्ट, प्रकाश लोहनी, बीना नयाल, हीरा कनवाल, अनूप शाह, दीवान सिंह बिष्ट, अर्चना सुयाल और सुरेश सुयाल का विशेष सहयोग रहा।