राज्यपाल ने संस्कृत विवि के 30 छात्रों को स्वर्ण पदक से नवाजा

हरिद्वार(आरएनएस)।  उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की आत्मा उसकी संस्कृति होती है। संस्कृति जब तक जीवित और सुरक्षित है, तभी तक राष्ट्र भी जीवित और सुरक्षित रहता है। उन्होंने समारोह में 30 स्नातक और परास्नातक छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए। इसके साथ ही 21 छात्र-छात्राओं को विद्या वारिधि की उपाधि देकर सम्मानित किया। दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर उन्होंने कहा कि विश्व की सारी संस्कृतियों में सबसे प्राचीन एवं श्रेष्ठ हमारी भारतीय संस्कृति या वैदिक संस्कृति है। इस संस्कृति का आधार संस्कृत भाषा है। संस्कृत भाषा के बिना भारतीय संस्कृति की और भारतीय संस्कृति के बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। उन्होंने मेडल और उपाधि पाने वाले छात्रों से कहा कि वह भारत की धरोहर को आगे तक लेकर जाएंगे, तभी उनको मिले मेडल और उपाधि की सार्थकता और बढ़ेगी।

गोल्ड मेडल से ये छात्र छात्राएं सम्मानित:  
दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्र रितेश कुमार तिवारी, अभिषेक सैनी, कु. वंदना मौर्या, सूरज तिवाड़ी, विनीता, हिमांशु मुण्डेेपी, शुभांगिनी तिवारी, सागर खेमरिया, परविन्दर सिंह, चन्द्र मोहन, ताजीम फात्मा, उपासना वर्मा, निधि, ब्रजेश जोशी, देवव्रत, हिमांशु, सन्नी, अमित जोशी, सुबोध बहुगुणा, अनुराग शर्मा, अतुल ध्यानी, कु. प्रतिज्ञा चौहान, भारत कुमार, पवन जोशी, निधि, शिफालीय अफरीन, नीतू तलवार, गुरमीत सैन, कु. स्वाति, मनीष शर्मा को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।


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