संन्यासियों का इस राष्ट्र की संस्कृति से गहरा जुड़ाव है : राजनाथ

हरिद्वार(आरएनएस)।  केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जिस तरह मिलिट्री देश की सीमाओं की रक्षा करती है, उसी तरह आध्यात्मिक शक्ति देश की अक्षुण्ण संस्कृति की रक्षा करती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि हम राज दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं या नहीं इसकी समीक्षा करने का अधिकार भी संन्यासियों को है। जब तक संस्कृति है संतों और संन्यासियों की यह भूमिका बनी रहेगी। ये बातें उन्होंने कनखल स्थित हरिहर आश्रम में आयोजित दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव में कहीं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि संन्यासी अहम से वयम की यात्रा है। संन्यासी चराचर जगत के कल्याण के लिए कार्य करते हैं। वसुदेव कुटुंबकम का संदेश दुनिया में किसी धरती से गया है तो वह भारत है इसका श्रेय संन्यासी समाज को ही जाता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि स्वामी अवधेशानंद गिरी आचार्य पीठ पर समाज के प्रति अपने दायित्वों का भली-भांति निर्वहन कर रहे हैं। पर्यावरण से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि संन्यासियों का इस राष्ट्र की संस्कृति से गहरा जुड़ाव है। सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक व्यवस्था से भी संन्यासियों का जुड़ाव है। उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने भारत की सांस्कृतिक चेतना को नष्ट करने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले संतों को निशाना बनाया लेकिन इन विदेशी आक्रांताओं के आगे संत झुके नहीं, जिससे आज भी सनातन अजर अमर है। आज नई पीढ़ी भी भारतीय संस्कृति को समझने लगी है। इसका श्रेय भी संतों को जाता है। रक्षा मंत्री ने सनातन पर उपहास करने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें इसमें आत्मिक अनुभूति होती है। रक्षा मंत्री ने भाजपा नीत केंद्र सरकार की तारीफ करते कहा कि भारत की सांस्कृतिक समृद्धि के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। अयोध्या के राम मंदिर हो या उज्जैन के महाकाल या अन्य देवी देवताओं के मंदिर उसके बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर सरकार लगातार प्रयास कर रही है।


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