रांसी के राकेश्वरी मंदिर में हुआ सावन मास की संक्राति से पौराणिक जागरों का गायन शुरू

रुद्रप्रयाग(आरएनएस)।  रांसी स्थित मां राकेश्वरी मंदिर में सावन मास की संक्राति से पौराणिक जागरों का गायन शुरू हो गया है। करीब दो माह तक चलने वाले जागरों का समापन राकेश्वरी मां को ब्रह्म कमल अर्पित करने के बाद किया जाएगा। इस आयोजन को लेकर क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। मद्महेश्वर घाटी के रांसी गांव में स्थित सिद्धपीठ राकेश्वरी मंदिर में हर साल सांयकालीन आरती के बाद पौराणिक जागरों के गायन की परम्परा है। राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि राकेश्वरी के मन्दिर में पौराणिक जागरों का गायन पौराणिक परम्परा के अनुसार विशेष पूजा-अर्चना के साथ शुरू हो गया है। सभी देवी देवताओं के आह्वान के साथ विश्व समृद्धि व क्षेत्र के खुशहाली की कामना की जा रही है। बदरी केदार मन्दिर समिति पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने बताया कि जनपद के मद्महेश्वर घाटी के राकेश्वरी मन्दिर में ही पौराणिक जागरों की परम्परा जीवित है। शिक्षाविद् वीपी भट्ट ने बताया कि मन्दिर में पौराणिक जागरों के गायन से दो माह तक रांसी गांव सहित मदमहेश्वर घाटी का वातावरण भक्तिमय बना रहता है। पौराणिक जागरो के गायन की परम्परा सदियों से चली आ रही है। ग्रामीण पौराणिक जागरों के गायन की परम्परा का निर्वहन आज भी निस्वार्थ भावना से करते आ रहे हैं। जागरी पूर्ण सिंह पंवार ने बताया कि दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों के माध्यम से भगवान शंकर, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र, भगवान श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं के वर्णन के साथ तैतीस कोटि देवताओं का आवाहन किया जाता है। जागरों के गायन में धीरे-धीरे युवा पीढ़ी भी अपना योगदान देकर भविष्य के लिए परम्परा को जीवित रखने की रूचि ले रही है।

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