प्राकृतिक रंग बनाकर आर्थिकी बढ़ा रही स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं

विकासनगर। फाग की मस्ती का पर्व होली एक ओर लोगों के दिल में उमंग और उल्लास का संचार कर रहा है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के साधन भी मुहैया करा रहा है। इन दिनों स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं प्राकृतिक रंग बनाकर अपनी आर्थिकी बढ़ा रहे हैं। विकासनगर के बाड़वाला (डुमेट) में संतोषी नमन स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं प्राकृतिक रंग बना रही हैं। समूह की महिला मीना चौहान, मीनू पुन, उषा पुन, सुनीता पुन ने बताया कि अभी तक साठ किलो रंग बनाकर बेच चुकी हैं। रंगों की पैकिंग कर उसे बस्तियों में जाकर बेचा जा रहा है। बताया कि समूह में 13 महिलाएं रंग बनाने में जुटी हुई हैं। बताया कि रंग बनाने के लिए सबसे पहले आरारोट और कलर को आपस में मिलाया जाता है, उसके बाद इसे धूप में सुखाकर पीसा जाता है। इसके बाद छलनी से छानकर पैकिंग की जाती है। बताया कि रंग बनाने के लिए आरारोट के साथ ही गुलाब, टेसू, डहेलिया, गेंदे के फूलों का भी उपयोग किया जाता है। महिलाओं ने बताया कि घर पर ही रंग बनाकर अच्छी खासी आय अर्जित हो रही है।

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