
अल्मोड़ा(आरएनएस)। उत्तराखण्ड के जनपद अल्मोड़ा के हवालबाग क्षेत्र के प्रगतिशील कृषक भूपेन्द्र जोशी को पारंपरिक फसलों के संरक्षण और संवर्धन में उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘प्लांट जीनोम सेवियर कृषक पुरस्कार 2022-23’ से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा की अनुशंसा पर चयनित भूपेन्द्र जोशी को यह सम्मान बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। समारोह में केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथि रहे, जबकि कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, सचिव (डेयरी) एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डॉ. एम.एल. जाट, प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. टी. महापात्रा और रजिस्ट्रार डॉ. डी.के. अग्रवाल भी उपस्थित रहे। पुरस्कार के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये की नकद राशि, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। भूपेन्द्र जोशी लंबे समय से उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में देशज फसलों के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 88 पारंपरिक फसल प्रजातियों (लैण्डरेसेस) का संरक्षण किया है, जिनमें 30 धान, 12 दलहन, 7 श्री अन्न (कदन्न फसलें), 3 गेहूं, जौ, मक्का, चौलाई और उगल की दो-दो किस्में, 18 सब्जियां, 4 मसाले और 6 तिलहन फसलें शामिल हैं। उनके द्वारा संरक्षित और विकसित देशज फसलों का जर्मप्लाज्म विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ साझा किया गया है। इनमें ‘रामना लाल धान’, ‘काला चपटा भट (सोयाबीन)’ और ‘भूरा गहत (कुल्थी)’ जैसी प्रमुख किस्में हैं, जिन पर वैज्ञानिकों के सहयोग से उन्नत किस्में विकसित करने के प्रयास जारी हैं। जोशी ने पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, नई दिल्ली में सात देशज फसलों के पंजीकरण के लिए आवेदन किया है, जिनमें पांच धान की किस्में—रामना लाल धान, दूध धान, बौरानी धान, कौथुनी धान और सफेद धान—तथा दो मंडुआ की किस्में—गोल मंडुआ और झुमकिया मंडुआ—शामिल हैं। इस अवसर पर विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत ने भूपेन्द्र जोशी को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि उत्तराखण्ड के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत है और पारंपरिक फसल विविधता के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश है। उन्होंने कहा कि संस्थान किसानों के साथ मिलकर देशज जर्मप्लाज्म के वैज्ञानिक उपयोग और उन्नयन के लिए लगातार प्रयासरत है।



