प्रदेश में सडक़ दुर्घटनाओं की मजिस्ट्रीयल जांच की रफ्तार सुस्त

देहरादून। प्रदेश में सडक़ दुर्घटनाओं को लेकर चल रही मजिस्ट्रीयल जांच की रफ्तार सुस्त चल रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2019 में सार्वजनिक वाहनों से हुई 170 सडक़ दुर्घटनाओं में मजिस्ट्रीयल जांच के निर्देश दिए गए थे। इनमें से अभी तक केवल 54 की जांच ही पूरी हो पाई है। 116 मामलों की जांच अभी भी पूरी होनी शेष है। चार जिले ऐसे हैं, जहां एक भी जांच पूरी नहीं हुई है। बागेश्वर, चंपावत व रुद्रप्रयाग में जरूर सभी दुर्घटनाओं की जांच पूरी हो चुकी है। प्रदेश में सडक़ दुर्घटनाओं का ग्राफ बीते कुछ वर्षों में बढ़ा है। यह बात अलग है कि इस वर्ष कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान इसमें कुछ कमी देखने को मिली। वहीं यदि वर्ष 2019 के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो वर्ष 2019 में 1352 सडक़ दुर्घटनाएं हुई थी़। इन दुर्घटनाओं में कुल 867 लोगों की मौत हुई। इनमें शहरी क्षेत्रों में 304 और ग्रामीण क्षेत्रों में 563 व्यक्ति सडक़ दुर्घटनाओं का शिकार बने। प्रतिशत के रूप में देखें तो कुल सडक़ दुर्घटनाओं में 35 फीसद की मौत शहरी क्षेत्र और तकरीबन 65 फीसद की मौत ग्रामीण क्षेत्र में हुई। दुर्घटनाओं में हुई मौत के 170 मामलों में सरकार ने मजिस्ट्रीयल जांच के निर्देश दिए थे। इनमें सबसे अधिक 39 मामले हरिद्वार, 27 मामले देहरादून, 24 मामले टिहरी, 17 मामले चमोली और 11-11 मामले पौड़ी, रुद्रप्रयाग व टिहरी के थे। अभी मजिस्ट्रीयल जांच की स्थिति यह है कि ऊधमसिंह नगर में केवल एक ही मामले की जांच पूरी हुई है। 26 मामलों की जांच अपूर्ण है। पौड़ी में 11 में से एक भी मामले की जांच पूरी नहीं हुई है। हरिद्वार में 39 में से 17 मामलों की जांच पूरी हुई है। चमोली, देहरादून और पिथौरागढ़ में एक भी जांच पूरी नहीं हुई है। जांच में देरी होने से कही नहीं कहीं आरोपितों को फायदा मिलने की भी गुंजाइश बन जाती है। इसे देखते हुए कुछ समय पहले परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने राज्य सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में इस पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सभी जिलों में चल रही मजिस्ट्रीयल जांच समय से पूरा करने के भी निर्देश दिए हैं।


Exit mobile version