पीड़िता को पकड़ना और कपड़े उतारना अकेले व्यक्ति के लिए संभव नहीं

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी किया दुष्कर्म का आरोपी

नई दिल्ली(आरएनएस)। पोक्सो के तहत यौन शोषण को लेकर दिए अपने विवादास्पद आदेश के बाद बंबई उच्च न्यायालय के नागपुर पीठ की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेदीवाल ने हाल ही में दुष्कर्म के एक आरोपी को बरी कर दिया है। अपने आदेश में न्यायमूर्ति गनेदीवाल का कहना है कि एक अकेले आदमी के लिए पीड़िता का मुंह बंद करना और बिना किसी हाथापाई के एक ही समय में उसके और अपने कपड़े उतारना असंभव लगता है। गनेदीवाल पहली बार चर्चा में तब आई थीं जब उन्होंने एक 12 वर्षीय लड़की के स्तन को छूने के आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया था क्योंकि उनके बीच त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं बना था। इसके बाद उन्होंने आदेश दिया था कि पांच साल की बच्ची का हाथ पकड़ना और उसके सामने पैंट की जिप खोलना पोक्सो अधिनियम के तहत यौन शोषण के दायरे में नहीं आता है।
ताजा मामले में न्यायमूर्ति गनेदीवाल की पीठ ने कहा कि किसी एक व्यक्ति के लिए अभियोजन पक्ष (पीड़िता) का मुंह बंद करके, उसके और अपने कपड़े उतारना और बिना किसी हाथापाई के जबरन दुष्कर्म करना बेहद असंभव लगता है। चिकित्सा साक्ष्य भी अभियोजन पक्ष की बात का समर्थन नहीं करते हैं और उन्होंने इस मामले में आरोपी को बरी कर दिया।
वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने आज इस फैसले पर कड़ा संज्ञान लिया है। यौन उत्पीड़न से जुड़े दो मामलों पर अपने विवादास्पद आदेशों के चलते जस्टिस पुष्पा वी. गनेदीवाल को बंबई हाईकोर्ट का स्थायी जज बनाने की अपनी सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट ने कथित रूप से वापस ले लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने गनेदीवाल के इस फैसले पर भी रोक लगा दी है। बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार बताया गया कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले सर्वोच्च न्यायालय के तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने बंबई हाईकोर्ट के स्थायी जज के रूप में जस्टिस गनेदीवाल की सिफारिश की थी, लेकिन बाद में इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया।