परमार्थ निकेतन में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आगाज

ऋषिकेश(आरएनएस)।  परमार्थ निकेतन में रविवार को अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आगाज हो गया। यहां सात दिनों तक 50 देशों के एक हजार से अधिक योग साधक योगाभ्यास करेंगे। महोत्सव के पहले दिन साधकों ने योग की विभिन्न विधाओं का अभ्यास किया और उनकी महत्ता के बारे में जाना। पहले दिन प्रातःकाल 4:30 बजे ब्रह्ममूहुर्त से योग की विधाओं की शुरूआत हुई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि योग, शिव और शक्ति का मिलन है, जिससे शान्ति और प्रेम का मार्ग प्रशस्त होता है। योग की जन्मभूमि में आकर योग केवल शरीर का नहीं बल्कि आत्मा का भी होता है। उत्तराखंड तो पूरे विश्व को एकत्र करने और जोड़ने के लिये योग करता है। योग का अभ्यास व्यक्ति को न केवल शारीरिक शक्ति प्रदान करता है, बल्कि आत्मिक जागरूकता और मानसिक शांति भी देता है। उन्होंने कहा कि योग का उद्देश्य केवल शरीर के आसनों तक सीमित नहीं है, बल्कि एकता, शांति और प्रेम की भावना को भी बढ़ावा देता है। उत्तराखंड, जो योग का जन्म स्थल है और सम्पूर्ण विश्व को जोड़ने का एक अद्वितीय साधन बन चुका है। यहां योग केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की ओर नहीं, बल्कि आत्मिक समृद्धि की ओर भी मार्गदर्शन करता है। साध्वी भगवती सरस्वती ने वैदिक संस्कृति और भीतर से दिव्यता को पहचानने के महत्व को समझाते हुए कहा कि वैदिक परंपरा में हम मूल पाप में नहीं, बल्कि मूल दिव्यता में विश्वास करते हैं।
अमेरिका से आये विख्यात योगाचार्य गुरुमुख कौर खालसा ने साधकों को कुण्डलिनी साधना का अभ्यास कराया। इसके बाद प्रतिभागियों ने योगाचार्य आकाश जैन और योगाचार्य राधिका गुप्ता ने सूर्यनमस्कार के पांच तत्व, डॉ. योगऋषि विश्वकेतु ने हिमालयन श्वास प्राणायाम, सियाना शरमेन ने रसा योग के जरिए करुणा के चक्र पर ध्यान केंद्रित करने का अभ्यास कराया। उनके अलावा स्टुअर्ट गिलक्रिस्ट ने कुंडलिनी योगा, डॉ. कृष्णा नरम ने आध्यात्मिक आहार के प्राचनी रहस्य, आनंद मेहरोत्रा ने शक्ति जागरण की विशेषताएं बताई। योगाचार्य टॉमी रोजेन ने योग के माध्यम से नशा मुक्ति करने की जानकारियां दी।

error: Share this page as it is...!!!!
Exit mobile version