पदों की बंदरबांट से क्या साबित करना चाहते हैं त्रिवेंद्र ? : भावना पांडे
पदों की बंदरबांट से बेहतर होता कि संविदाकर्मियों का वेतन बढ़ा देती सरकार
देहरादून। राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने त्रिवेंद्र सरकार द्वारा हाल में बांटे गये दायित्वों की निंदा की है। उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार रेवडिय़ों की तर्ज पर पद बांट रही है। आखिर चुनाव से दस महीने पहले इस तरह पदों की बंदरबांट से त्रिवेंद्र साबित करना क्या चाहते हैं? उन्होंने कहा कि प्रदेश पहले ही कर्ज में आकंठ डूबा है, ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार दायित्वधारियों के बोझ भी जनता पर थोप रही है। राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने सवाल उठाया कि आखिर त्रिवेंद्र सरकार ने चार साल तक दायित्वों का बंटवारा क्यों नहंी किया? क्यों वो 40 से भी अधिक विभागों पर कुंडली मार कर बैठे रहे? क्यों नहीं तीन मंत्रियों को पद सौंपे गये? यदि समय पर मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाता तो संभव है कि जनता के कुछ विकास कार्य हो सकते थे, लेकिन त्रिवेंद्र को तब भाजपा में ही विद्रोह का भय था, इसलिए उन्होंने न तो मंत्रिमंडल का विस्तार किया और न ही दायित्व बांटे। अब अचानक चुनाव नजदीक देख भाजपाइयों को खुश करने के लिए जनता की बलि दी जा रही है। भावना पंाडे ने कहा कि सरकार को सीएम, मंत्रियों और दायित्वधारियों के निजी स्टाफ पर होने वाले खर्च पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री के निजी क्लर्क को 98 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है तो दूसरी ओर स्कूलों में नौनिहालों को भोजन कराने वाली भोजनमाता को डेढ़ हजार महीने की पगार दी जा रही है। भावना ने कहा कि जब प्रदेश 60 हजार करोड़ के भारी-भरकम कर्ज तले दबा है तो ये दायित्वधारियों पर खर्च क्यों? उन्होंने त्रिवेंद्र सरकार को सुझाव दिया कि दायित्वधारियों से अधिक वोट कर्मचारियों के हैं। उपनल, शिक्षा मित्र, स्वास्थ्य कर्मी, भोजनमाता, आंगनबाड़ी वर्कर , आशा वर्कर का वेतन बढ़ा देते या उन्हें समय पर वेतन देते तो संभव है कि ये लोग भाजपा को दोबारा वोट दे देते। स्थानीय लोगों को पदों की बंदरबांट के तरीके को जनता खूब समझ चुकी है। भाजपा और कांग्रेस प्रदेश की जनता को बरगला नहीं सकते हैं। राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि जनता अब भाजपा-कांग्रेस के झांसे में नहंी आएगी। उन्होंने कहा कि इस बार प्रदेश की महिलाएं और युवा इन दोनों दलों को सबक सिखाने का काम करेंगी। तीसरा विकल्प जल्द ही जनता के पास होगा।