मधुमक्खी पालन पर 21 दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण शुरू

रानी पालन में मधुमक्खी पालक होंगे प्रशिक्षित
सोलन।  हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के प्रबंधित परागण घटक के तहत राज्य के मधुमक्खी पालकों के लिए ‘मधुमक्खी प्रजनन’ पर 21 दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण का शुभारंभ हुआ। प्रशिक्षण का संचालन कीट विज्ञान विभाग, डॉ वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी द्वारा किया जा रहा है। ऑनलाइन प्रशिक्षण में राज्य के विभिन्न जिलों के 36 मधुमक्खी पालक भाग ले रहे हैं। डॉ. बलराज सिंह मधुमक्खी और परागणकों पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (ए आई सी आर पी) के परियोजना समन्वयक उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि रहे।

डॉ. हरीश कुमार शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक और कार्यक्रम के समन्वयक ने बताया कि प्रशिक्षण का उद्देश्य राज्य के मौजूदा मधुमक्खी पालकों की क्षमता को बढ़ाना है ताकि वे गुणवत्ता वाली रानी मधुमक्खी का उत्पादन और आपूर्ति कर सकें और अपनी मधुमक्खी कॉलोनी का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन कर सकें जिससे उनकी आय बढ़ाने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल में प्रशिक्षित मधुमक्खी पालकों द्वारा परागण सेवाओं के लिए 18,000 से अधिक मधुमक्खी कॉलोनी को उपलब्ध करवाया जा रहा है।

अपने सम्बोधन में डॉ. बलराज सिंह ने कॉलोनी चयन, रानी पालन और कॉलोनी रखरखाव की नवीनतम  ज्ञान के साथ राज्य के मधुमक्खी पालकों को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास करने के लिए विश्वविद्यालय और कीट विज्ञान विभाग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जैसे कृषि और बागवानी की तरह, अच्छा उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री सबसे महत्वपूर्ण है। उसी तरह एक अच्छी कॉलोनी के लिए एक अच्छी गुणवत्ता वाली रानी मधुमक्खी की आवश्यकता होती है।

उनका विचार था कि वैज्ञानिकों और मधुमक्खी पालकों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शहद उत्पादन को और बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि राज्य का एक बड़ा क्षेत्र इसके लिए उपयुक्त है। 2016 और 2019 में देश में सर्वश्रेष्ठ केंद्र का पुरस्कार प्राप्त करने के लिए विश्वविध्यालय की सराहना की।

विस्तार शिक्षा निदेशक और कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. दिवेंद्र गुप्ता ने अपने संबोधन में मधुमक्खी पालकों के लिए रानी पालन की आवश्यकता और महत्व पर जोर दिया और रानी उत्पादन उद्यम के विकास के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि सेब के बगीचे में प्रबंधित परागण की भूमिका को लेकर विभाग द्वारा 2018 से अब तक कई प्रदर्शन, जागरूकता शिविर आयोजित किए जा चुके हैं।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय ने कोरोना के कारण किसानों तक अपनी पहुंच को प्रभावित नहीं होने दिया है और तकनीकी फिल्मों के माध्यम से वैज्ञानिक सूचनाओं के प्रसार और ऑनलाइन प्रशिक्षण और ऑनलाइन किसान मेलों जैसी कई पहल शुरू की गई हैं।कीट विज्ञान विभाग ने मधुमक्खी प्रजनन पर दो ऑनलाइन 21-दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण और प्रशिक्षित मधुमक्खी प्रजनकों के लिए पांच दिनों के दो रिफ्रेशर पाठ्यक्रम आयोजित किए हैं ताकि उन्हें रानी पालन के तकनीकी ज्ञान से लैस किया जा सके।हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के तहत प्रबंधित परागण घटक  में हिमाचल में परागणकों और परागण के महत्व को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया था।

इसका उद्देश्य परागण के लिए मधुमक्खियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उद्यमशीलता विकास मॉडल स्थापित करना था। परागण घाटे के कारण फसल की विफलता को कम करने के लिए कुछ फसलों पर मधुमक्खियों के विकल्प के रूप में भँवरे जैसे अन्य परागणकों का उपयोग करने के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करना है। सेब के बागों में प्रबंधित परागण के कार्यान्वयन से फ्रूट सेट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और राज्य के बागवानों की बेहतर उपज हुई है। राज्य बागवानी मधुमक्खी प्रजनक योजना के तहत एचपी-एचडीपी के प्रबंधित परागण घटक के तहत प्रशिक्षित 62 प्रगतिशील मधुमक्खी पालकों को बागवानी विभाग में मधुमक्खी प्रजनक के रूप में पंजीकृत किया गया है, जबकि सात प्रशिक्षुओं को लघु स्तर पर रानी पालन शुरू करने के लिए प्रत्येक को 3 लाख रुपये का वित्त पोषण मिला है।