ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था को मजबूत करने के बड़े-बड़े दावे खोखले हो गये

देहरादून। पिछले साल कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से सबक लेते हुए उच्च शिक्षा में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था को मजबूत करने के बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन इन दावों की पोल इस साल खुल गई है। पिछले 15 दिनों से सरकारी उच्च शिक्षण संस्थान बंद हैं, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई की बात करें तो 20 फीसद भी छात्रों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. कुमकुम रौतेला ने स्वयं स्वीकारा है कि उच्च शिक्षा निदेशालय ने पढ़ाई का कोई ब्लू प्रिंट जारी नहीं किया है। हालांकि, उन्होंने तर्क दिया है कि अधिकतर शिक्षक या उनके स्वजन कोरोना संक्रमित हैं। जिससे सरकारी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में पढ़ाई नहीं कराई जा रही है, लेकिन, जो शिक्षक स्वस्थ हैं, वह भी ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं या नहीं, इसकी जानकारी निदेशालय के पास नहीं है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है। जिसमें कहा गया है कि सभी उच्च शिक्षण संस्थान कम से कम 30 फीसद ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ छात्रों को दें, जबकि उत्तराखंड में केंद्र की गाइडलाइन का दर-दर तक पालन नहीं किया जा रहा है। दूसरी ओर, प्राइवेट कॉलेज व विवि सरकारी सिस्टम की तुलना में ऑनलाइन पढ़ाई के मामले में कहीं आगे हैं। यहां करीब 70 से 80 फीसद पढ़ाई ऑनलाइन मोड में हो रही है। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सभी राजकीय महाविद्यालय व विवि को उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से निर्देशित किया गया है कि वह ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखें। इसकी मानिटरिंग की व्यवस्था की जा रही है, लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी।
सरकारी डिग्री कॉलेजों के स्नातक के छात्र राजीव सांगवान, अर्पिता पुरी, जयकिशन शर्मा, संजय सिंह रावत, इंजीनियरिंग कॉलेज के स्टडेंट्स शालिनी जोशी, आरती ममगाईं, विनोद सिंह रौथाण आदि ने बताया कि उनकी परीक्षा भी लंबित हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के बारे में कोई सूचना नहीं दी जा रही है। कॉलेज का हेल्पलाइन नंबर कोई रिसीव नहीं कर रहा है। स्नातकोत्तर के छात्र मौसमी राजपत, शिखा नैथानी, राकेश पंडित आदि ने कहा कि उनकी परीक्षा समाप्त हुए दो सप्ताह हो चुके हैं। अभी तक परिणाम घोषित नहीं किया गया है और न ऑनलाइन पढ़ाई की कोई सूचना आई है।

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