ओएनजीसी चौक पर हुए दर्दनाक हादसे को लेकर जेपी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट पुलिस और परिवहन विभाग को सौंपी

देहरादून(आरएनएस)।  देहरादून में महीनेभर पहले 11 नवंबर की देर रात ओएनजीसी चौक पर हुए दर्दनाक हादसे को लेकर जेपी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट पुलिस और परिवहन विभाग को सौंप दी है। रिपोर्ट में हादसे की असल वजह कार की ओवरस्पीड को बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार हादसे के वक्त कंटेनर लगभग 15 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से घटनास्थल से गुजर रहा था, जबकि उसके पिछले हिस्से से जाकर टकराई कार की रफ्तार 150 किमी प्रतिघंटा के करीब थी।  ओएनजीसी चौक पर हुए इस कार हादसे में तब छह युवाओं की दर्दनाक मौत हो गई थी, जबकि सातवां युवक गंभीर रूप से घायल हुआ था। कंटेनर किशननगर चौक से कौलागढ़ और कार बल्लूपुर चौक से गढ़ी कैंट जा रही थी। इसी दौरान तेज रफ्तार कार ओएनजीसी चौक पर मुड़ रहे कंटेनर के बाईं ओर के पिछले हिस्से में जा घुसी थी। इससे कार का केबिन एरिया पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था, जबकि कार की छत का बड़ा हिस्सा कंटेनर पर रुई की तरह चिपक गया था। कंटेनर में घुसने के बाद कार नीचे से निकलकर करीब 80 मीटर आगे जाकर पेड़ से टकराकर रुक गई थी। इस दौरान कार में पेड़ का तना करीब 30 सेमी अंदर घुस गया था। इससे माना गया कि पेड़ से टकराते वक्त भी कार की रफ्तार 70 किमी प्रतिघंटा के करीब थी।  जेपी रिसर्च इंस्टीट्यूट के सीओओ कमांडर प्रदीप के जसवानी (रिटायर) ने हादसे की यह रिपोर्ट यातायात निदेशक अरुण मोहन जोशी और संयुक्त आयुक्त-परिवहन एसके सिंह को भेजी है।

जेपी रिसर्च इंस्टीट्यूट  ने अपनी रिपोर्ट में बताया ये सब
● कार की अत्यधिक रफ्तार दुर्घटना का मुख्य कारण बनी।
● कार सवारों ने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी, जिससे टक्कर के प्रभाव को सहने की क्षमता कम हो गई।
● कंटेनर में अंडरराइड प्रोटेक्शन डिवाइस और रिफ्लेक्टर जैसे सुरक्षा उपकरण नहीं थे।
● घटनास्थल पर गति सीमा के संकेत और स्पीड ब्रेकर नहीं थे।
जेपी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कार की अत्यधिक तेज रफ्तार दुर्घटना का मुख्य कारण है। इस दौरान कार सवारों ने सीट बेल्ट भी नहीं लगा रखे थे, इस वजह से उन्हें बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा। रिपोर्ट के मुताबिक कंटेनर में अंडरराइड प्रोटेक्शन डिवाइस और रिफ्लेक्टर जैसे सुरक्षा उपकरण भी नहीं लगे थे। ना ही घटनास्थल पर गति सीमा के संकेत और स्पीड ब्रेकर लगे थे।

रिपोर्ट में सड़क सुधार के ये सुझाव भी दिए गए
भविष्य में इस तरह के हादसों को होने से रोकने के लिए रिपोर्ट में सड़क सुधार के सुझाव भी दिए गए हैं। जिसके अनुसार चौराहों पर गति सीमा बोर्ड और स्पीड ब्रेकर लगाए जाने के लिए कहा गया। साथ ही सभी ट्रकों में अंडरराइड प्रोटेक्शन डिवाइस और रिफ्लेक्टर अनिवार्य करने को कहा गया है। रिपोर्ट में सावधानी से वाहन चलाने के लिए हरेक को जागरूक करने के लिए कहा गया है।

ओवरस्पीड वाहनों का चालान काटेगी पुलिस
हादसे की रिपोर्ट सामने आने के बाद राज्य पुलिस ने भी तेज रफ्तार वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। निर्धारित गति से ज्यादा रफ्तार में वाहन चलाते पकड़े जाने पर पुलिस अत्याधुनिक मशीनों से चालान काटेगी। जिलेभर में इंटरसेप्टर वाहनों, स्मार्ट कैमरों के साथ अब स्थानीय पुलिस को ओवरस्पीडिंग रोकने के लिए स्पीड रडार गन दे दी गई हैं। जिले में हाईवे और दुर्घटना आशंकित क्षेत्रों में तेज रफ्तार पर लगाम लगाने को पुलिस ने सख्ती की है। जहां अब तक तेज रफ्तार पर इंटरसेप्टर और स्मार्ट कैमरों से नजर रखकर कार्रवाई की जा रही थी तो वहीं अब पुलिस को स्पीड रडार गन दी गई है।
एसएसपी  अजय सिंह ने बताया कि दून में हाईवे पर वाहनों की गति नियंत्रित करने के लिए डोईवाला, ऋषिकेश, सहसपुर और विकासनगर पुलिस को स्पीड रडार गन उपलब्ध कराई गई है। जिसकी मदद से पुलिस अब तेज रफ्तार वाहनों को चिन्हित कर कार्रवाई कर सकेगी। उन्होंने बताया कि देहरादून में यातायात पुलिस फिलहाल तीन इंटरसेप्टर वाहनों और दो बुलेट बाइक में लगी स्पीड रडार गन व शहर में लगे चार स्मार्ट कैमरों से ओवरस्पीडिंग पर कार्रवाई कर रही है।

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