निर्माण कार्य का मलबा अलकनंदा में डालने पर भड़के तीर्थपुरोहित

नई टिहरी। बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत हो रहे निर्माण कार्य का मलबा अलकनंदा नदी में डाले जाने पर तीर्थपुरोहित समाज ने कड़ी आपति जताई है। श्री बदरीश पंडा पंचायत ने इसका वीडियो व फोटो जारी करते हुए एनजीटी व स्थानीय प्रशासन पर लापरवाह रवैये का आरोप लगाया है। तीर्थनगरी देवप्रयाग तक आने वाली अलकनंदा नदी अपने मुहाने से ही प्रदूषित हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बदरीनाथ धाम मास्टर प्लान को लागू करने के लिए पर्यावरण के सभी मानको को ताक में रख दिया गया है। मास्टर प्लान निर्माण का टनों मलबा खुलेआम अलकनंदा में डाला जा रहा है। गंगा की प्रमुख सहायक नदी अलककंदा देवप्रयाग में भागीरथी मे संगम कर राष्ट्रीय नदी गंगा का स्वरूप धारण करती है। श्री बदरीश पंडा पंचायत अध्यक्ष प्रवीन ध्यानी व सचिव रजनीश मोतीवाल का कहना है कि नदियों में निर्माण कार्य का मलबा डालने पर भारी भरकम जुर्माना व चालान करनेवाली एनजीटी व स्थानीय प्रशासन इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है। धाम स्थित अलकनंदा तटों की प्राकृतिक संरचना को जेसीबी मशीनों से ध्वस्त कर उसके मलबे को निर्माण एजेन्सी खुलेआम नदी की धारा मे बहा रही हैं। प्रतिदिन टनों मलबा अलकनंदा में बहाया जाने का सिलसिला जारी है। जबकि नियम अनुसार मलबे को निर्धारित डापिग ज़ोन में डाला जाना था। सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर हर जगह गंगा स्वच्छता को लेकर चल रहे अभियान इससे बेमानी लगते हैं। तीर्थ पुरोहित समाज के अनुसार उनका नाता बदरीनाथ धाम से लेकर देवप्रयाग में गंगा तक है। गंगा की पवित्रता से धाम में खुलेआम हो रहे खिलवाड पर वह चुप्पी साधे नहीं बैठ सकते। सर्वोच्च न्यायालय से इस मसले का संज्ञान लिए जाने की भी तीर्थ पुरोहित समाज को आशा है।


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