मुस्लिम समाज ने यूसीसी को बताया इस्लामी मान्यताओं पर हमला

देहरादून(आरएनएस)।  मुस्लिम समाज ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विरोध शुरू कर दिया है। आरोप लगाया कि यह कानून इस्मामी मान्यताओं पर सीधा हमला है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गुरुवार को जमा मस्जिद पलटन बाजार में शहर काजी उत्तराखंड मुहम्मद अहमद कासमी और इमाम संगठन के अध्यक्ष मुफ्ती रईस अहमद कासमी की सरपरस्ती में हुई बैठक में यूसीसी पर विस्तार से चर्चा हुई। शहर काजी ने कहा कि यूसीसी का पुरजोर विरोध किया जाएगा, यह कानून सीधे इस्लामी मान्यताओं पर हमला करता है। मुफ्ती रईस साहब ने कहा की यूसीसी लाकर सरकार एक धर्म के लोगों को खुश करना चाहती है और आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका फायदा उठाना चाहती है। मगर देश और खास तौर पर प्रदेश के लोग इस बहकावे में आने वाले नहीं है। हम यूसीसी का विरोध करते है और इसके विरुद्ध लड़ाई लड़ी जाएगी। मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा कि भारत सरकार की ओर से 2016 में लॉ कमीशन का गठन किया गया था। लॉ कमीशन ने कहा कि यूसीसी की कोई जरूरत इस देश को नहीं है। इसके बाद 2023 में दूसरे लॉ कमीशन का गठन किया गया, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। तो सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी जो सरकार इतनी जल्दी यूसीसी ले आई और उसे विधानसभा से पास करा लिया। हम इसका विरोध करते हैं। मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष आकिब कुरेशी ने कहा की यूसीसी इस्लामी कानून पर हमले की साजिश है। आकिब कुरेशी ने कहा कि ये कानून केंद्रीय कानूनों से टकराता है जिसके लिए संविधान के जानकारों से राय ली जा रही है। इस कानून का विरोध के लिए 11 फरवरी को भी बैठक होगी। वहीं, एआईएमआईएम के नेता एडवोकेट विनोद कुमार ने कहा कि यूसीसी के विरोध में प्रदेश भर में कार्यक्रम होंगे। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति को इस कानून में शामिल नहीं किया गया और मुस्लिम समाज को गुलाम बनाने के लिए यह कानून लागू किया जा रहा है।