महिला और बाल उत्पीड़न को लेकर साझा की जानकारी

देहरादून(आरएनएस)। सामाजिक संस्था फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी ने महिला और बाल कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने वाले कर्मियों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ यौन उत्पीड़न को लेकर कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट पर चर्चा की गई। साथ ही महिला और बाल उत्पीड़न को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। मनोवैज्ञानिक डॉ. पवन शर्मा ने बताया कि उत्तराखंड में बाल यौन शोषण के मामले 52 प्रतिशत बढ़े हैं, जो कि एक गम्भीर विषय है। उन्होंने कहा कि नाबालिगों से यौन उत्पीड़न के 93. 35 प्रतिशत मामलों में आरोपी उनके परिचित होते हैं। सिर्फ 6.65 प्रतिशत मामलों में आरोपी अज्ञात होते हैं। उत्तराखंड में भी महिलाओं के प्रति हिंसा बढ़ रही है। यहां यौन उत्पीड़न, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और जानमाल सुरक्षा के मामले अधिक देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि प्रत्येक दो में से एक महिला ने कार्यक्षेत्र में यौन उत्पीड़न का शिकार बनी है। जागरुकता और सतर्कता ही इसके बचाव का मुख्य साधन है। रिलेशनशिप और पेरेंटिंग विशेषज्ञ भूमिका भट्ट ने आज के अभिभावक बच्चों की जिम्मेदारी के लिए पर्याप्त समय नहीं दे रहे हैं। इससे रिश्ते कमजोर होना स्वाभाविक है।

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