महंत इन्दिरेश अस्पताल के युवा एनेस्थिसियोलॉजिस्ट ने किया ‘कवच‘ का आविष्कार

देहरादून। महंत इन्दिरेश अस्पताल के एनेस्थिसिया विभाग के युवा डॉ0 गौरव पाठक ने कोविड-19 से लडऩे के लिए डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक इंट्यूबेशन बॉक्स का निर्माण कर एक अनूठा आविष्कार किया है। जबसे कोविड-19 (कोरोनावायरस) की महामारी ने विश्व को प्रभावित किया है तबसे डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए नवीनतम उपकरणों व अन्य सावधानियों की नितान्त आवश्यकता पड़ रही है।शुरूआत से ही कोविड-19 के उपचार में डॉंक्टरों की प्रमुख भूमिका रही है व आगे भी रहेगी। कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एनेस्थिसिया विभाग के डॉक्टर अहम भूमिका निभा रहे हैं। विशेष तौर पर इमरजेंसी व आई0सी0यू0 में गंभीर रूप से पीडि़त कोविड-19 के मरीजों को देखने में एनेस्थिसियोलॉजिस्टों का विशेष योगदान रहता है। इंट्यूबेशन वह प्रक्रिया है जिसमें मुंह के जरिये प्लास्टिक की नली को श्वास नली में पहुॅंचाया जाता है। यह इसलिए किया जाता है ताकि गंभीर बिमारी के दौरान मरीज को श्वास की मशीन पर रखा जा सके और उसे श्वास लेने में दिक्कत न हो। इस बॉक्स का उपयोग ऑपरेशन थियेटर में मरीज को ऑपरेशन से पूर्व सुरक्षित तरीके से बेहोश करने में किया जा सकता है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के एनस्थिसिया विभाग के डॉ0 गौरव पाठक ने कोविड-19 के उन मरीजों के लिए कम कीमत वाला इंट्यूबेशन बॉक्स विकसित किया है जिन्हें श्वास सम्बन्धी तकलीफ है और उन्हें श्वास नली में ट्यूब डालकर इस समस्या से राहत दिलाई जा सकती है। उन्होंने इस इंट्यूबेशन बॉक्स को ‘कवच‘ का नाम दिया है। दरअसल इंट्यूबेशन को ‘एरोसोल जैनरेटिंग पोसिजर‘ माना जाता है, अर्थात एरोसोल इंट्यूबेशन के दौरान मरीज के मुंह से एरोसोल (5 माईक्रोमीटर से कम व्यास के कण) निकलते हैं तथा हवा में 30 मिनट तक धूमते रहते हैं व कोरोना संक्रमण के खतरे को बढ़ाते हैं। इस दौरान यदि इंट्यूबेशन बॉक्स ‘कवच‘ को मरीज के ऊपर रख के ये प्रक्रिया की जाये तो संक्रमण को सीमित रखकर डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। डॉ0 गौरव पाठक द्वारा आविष्कार किये गये इस इंट्यूबेशन बॉक्स में उन्होंने कई नये एवं आधुनिक फीचर्स जोड़े हैं। डॉ0 गौरव पाठक ने बॉंक्स को 3 मिली मीटर पतले पदार्थ से बनाया गया है जिससे कि बॉक्स का वजन काफी कम होने के कारण यह आसानी से उपयोग किया जा सकता है। बॉक्स में अतिरिक्त छेद दिया गया है जिससे इंट्यूबेशन की प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर की सहायता करने वाला स्वास्थ्यकर्मी सहयोग कर सकेगा एवं सर्किट अन्दर ले जाया जा सकेगा। डॉ0 गौरव पाठक ने बताया कि यह इंट्यूबेशन बॉक्स ‘कवच‘ संभावित तौर पर इंट्यूबेशन की प्रक्रिया के दौरान पी0पी0ई0 किट्स का स्थान ले सकता है। उन्होंने बताया कि पी0पी0ई0 किट्स की तुलना में यह बॉक्स कई बार उपयोग किया जा सकता है, जहॉं कि पी0पी0ई0 किट्स का उपयोग एक बार ही किया जा सकता है। यह इंट्यूबेशन बॉक्स ‘कवच‘ कोविड-19 से लडऩे हेतु हो रहे खर्च को न्यूनतम करने व डॉक्टरों एवं स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा हेतु बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। डॉं0 गौरव ने ‘कवच‘ नामक इस इंट्यूबेशन बॉक्स के लिए ‘डिजाईन्स एक्ट‘ के अन्तर्गत पेटेंट हेतु आवेदन किया है जिसका सकारात्मक उत्तर जल्द ही आने वाला है। श्री महंत अस्पताल के एनेस्थिसिया विभाग की कार्डिक एनेस्थिसियोलॉजिस्ट एवं प्रोफेसर डॉ0 रोबिना मक्कड़ के मार्गदर्शन में डॉ0 गौरव पाठक ने इस इंट्यूबेशन बॉक्स ‘कवच‘ का निर्माण किया है। इस कार्य में उन्होंने अपनी सहपाठी एवं एनेस्थिसिया विभाग की डॉ0 निधि दुबे का भी विशेष योगदान बताया है। डॉ गौरव पाठक की इस अभूतपूर्व सफलता पर बधाई देते हुए श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ विनय राय व श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज़ के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार मेहता ने उनकी भूरी भूरी प्रशंसा की। डॉ. गौरव पाठक की इस उपलब्धि संस्थान के युवा डॉक्टरों में उत्साह का माहौल है। ज्ञातव्य है कि पूर्व में हल्द्वानी में आयोजित स्टेट कान्फ्रेंस में रिसर्च पेपर प्रजेन्टेशन में डॉ. गौरव पाठक ने द्वितीय स्थान प्राप्त कर श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया था।