कुछ चेहरों को भाजपा चाहकर भी अनदेखा नहीं कर सकती

शिमला। हिमाचल प्रदेश उपचुनाव में मंडी से महेश्वर सिंह और फतेहपुर से राजन सुशांत को भाजपा चाहकर भी अनदेखा नहीं कर पा रही है। महेश्वर सिंह तो प्रतिभा सिंह, पंडित सुखराम जैसे दिग्गज नेताओं को हरा चुके हैं और वीरभद्र सिंह को भी कड़ी टक्कर दे चुके हैं। सुशांत के बगावत पर उतरने के कारण फतेहपुर में भाजपा पिछला चुनाव हार गई थी। अर्की से गोविंद राम शर्मा और जुब्बल-कोटखाई में नीलम सरैइक भी भाजपा के लिए चुनौती हैं।
प्रदेश भाजपा का प्रभावी खेमा इन नेताओं को टिकट नहीं दिलाना चाह रहा है, मगर इनकी उपेक्षा करने को भी खतरे से खाली नहीं मान रहा है।
भाजपा प्रत्याशी रहते हुए पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने वर्ष 1989 में मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता पंडित सुखराम को हरा दिया था। हालांकि, 1991 में महेश्वर सिंह यहां सुखराम से चुनाव हार गए थे। वर्ष 1998 में महेश्वर ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को हराया। फिर 1999 में कौल सिंह ठाकुर को शिकस्त दी। यद्यपि महेश्वर सिंह वर्ष 2004 मेें प्रतिभा सिंह से हार गए। 2009 के चुनाव में महेश्वर बेशक फिर वीरभद्र सिंह से चुनाव हार गए, मगर उनकी हार का मार्जन महज 1.96 फीसदी मतों का था। इस तरह से महेश्वर के पास दिग्गजों से चुनाव जीतने या अच्छी टक्कर देने का अनुभव है।
बीच में वह भाजपा से बाहर हो गए और उन्होंने अपनी पार्टी बनाई। अब फिर से भाजपा में टिकट की आस में हैं। राजन सुशांत 1982 से 1985, 1985 से 1990, 1998 से 2003, 2007 से 2009 के बीच ज्वाली से विधायक रहे हैं जो अब फतेहपुर है। वह धूमल सरकार में वर्ष 1998 से 2003 के बीच राजस्व मंत्री भी रहे हैं। सुशांत 2009 से 2014 के बीच सांसद रहे हैं। अब वह भाजपा से बाहर हैं। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों के खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। सुशांत के बगावती सुर के कारण भाजपा फतेहपुर में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव को हार गई।
अर्की से भाजपा नेता गोविंद राम शर्मा का विधायक रहते हुए टिकट काट दिया गया था। वह लगातार दो बार विधायक बने थे। इस बार वह टिकट नहीं मिलने की स्थिति में भी चुनाव लड़ने का एलान कर भाजपा की चिंता बढ़ा चुके हैं। जुब्बल-कोटखाई विधानसभा सीट से पूर्व जिला परिषद सदस्य नीलम सरैइक तो पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के रहते भी पिछले चुनाव में टिकट की दावेदारी में खड़ी थीं। अब इस बार भी उपचुनाव लड़ने की जिद्द पर अड़ी हैं, जबकि भाजपा नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा को टिकट देने का मन बना चुकी है। इन चारों नेताओें को अपने साथ चलाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। रविवार को धर्मशाला में भी भाजपा इस बारे में मंथन करेगी।

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