किसान आंदोलन : आंतरिक मामला, अपना एजेंडा ना थोपें सेलेब्रिटी

विदेश मंत्रालय ने दी नसीहत

कहा लंबी बहस और समर्थन से संसद में पास हुए हैं नए कानून

किसानों का छोटा समूह कर रहा है प्रदर्शन

नई दिल्ली (आरएनएस)। कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन पर विदेशी सिलेब्रिटीज की टिप्पणियों पर विदेश मंत्रालय ने बुधवार को बेहद सख्त टिप्पणी की है। आंदोलन को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए विदेश मंत्रालय ने विदेशी सेलेब्रिटी और लोगों को अपना एजेंडा न थोपने की नसीहत दी है। मंत्रालय ने ऐसी टिप्पणियों को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया है।
गौरतलब है कि किसान आंदोलन पर सबसे पहले कनाडा के पीएम ने टिप्पणी की थी। हाल ही में इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब अमेरिकी पॉप स्टार रिहाना ने इस आंदोलन के संदर्भ में ट्वीट के माध्यम से सवाल उठाए। इसके अलावा मॉडल मिया खलीफा, अमांडा सेर्नी, जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग सहित कई चर्चित हस्तियों ने किसान आंदोलन के समर्थन में टिप्पणी की।
विदेश मंत्रालय ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए बयान जारी किया। बयान में कहा गया है कि यह बेहद दुखद है कि इस आंदोलन के बहाने कुछ लोग अपना एजेंडा थोपने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के कारण देश में गणतंत्र दिवस पर हिंसा हुई। इसके अलावा दुनिया के कई हिस्सों में महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाया गया।
बयान में कहा गया है कि किसान आंदोलन को भारत के आंतरिक मामले के तौर पर देखा जाना चाहिए। ट्वीट, टिप्पणी और हैशटेग अभियान चलाने से पहले तथ्यों और परिस्थितियों की जांच भी जरूरी है। जहां तक कृषि कानूनों की बात है तो देश की संसद ने लंबी बहस और समर्थन के बाद इसे पास किया है। किसानों का एक छोटा समूह इन कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है। देश में लोकतंत्र है और लोकतंत्र में सभी को असहमति जताने का हक है। किसानों के छोटे समूह के प्रदर्शन के बावजूद सरकार की ओर से वार्ताओं का लगातार दौर चलाया जा रहा है।


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