कर्णप्रयाग रेल लाइन का मलबा नदी में डालने पर सरकार व कंपनी से जवाब मांगा

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चारधाम मार्गों के चौड़ीकरण और कर्णप्रयाग में रेल पटरी के निर्माण का मालबा, बोल्डर व अन्य वेस्टेज सामग्री को नदियों में डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, केंद्र सरकार, रोड निर्माणकर्ता कम्पनी व रेलवे विभाग को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 2 अगस्त की तिथि नियत की है। आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई। मामले के अनुसार दिल्ली निवासी आचार्य अजय गौतम ने उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में कहा है कि चारधाम यात्रा मार्गों में निर्माण के दौरान ब्लास्टिंग और कटिंग का मलबा सीधे नदियों में डाला जा रहा है। इससे नदियों के अस्तित्व पर खतरा पैदा होने के साथ ही पानी भी दूषित हो रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यात्रा के दौरान कई बार यात्रा को रोककर पहाड़ी में सड़क कटिंग व ब्लास्टिंग की जाती है जो पूर्णतः असुरक्षित है। ब्लास्टिंग के दौरान पीक सीजन में इनके द्वारा डेढ़ से दो लाख लोगों को रोका जाता है। उसी दौरान सड़क, हाइड्रोपावर व रेलवे लाइन बनाने वाली कम्पनी बिना सर्वे के आये दिन ब्लास्टिंग कर रही है। इसकी वजह से जोशीमठ के 600 घर और कर्णप्रयाग के 50 घरों में दरारें आ चुकी हैं। जनहित याचिका में कहा गया है कि उन्हें और उनके पशुओं को पहले विस्थापित किया जाय।

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