यूसीसी न तो व्यवहारिक है और न ही संवैधानिक :  करन माहरा

देहरादून(आरएनएस)।   कांग्रेस ने यूसीसी को पूरी तरह अव्यवहारिक और असंवैधानिक बताया। सोमवार को कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि यूसीसी न तो व्यवहारिक है और न ही संवैधानिक। ये लिव इन संबंधों को संरक्षण देकर देवभूमि की संस्कृति के खिलाफ कानून बताया।
कहा कि इस कानून में सबसे आपत्तिजनक लिव इन रिलेशन के बारे में ले गए प्रावधान हैं। इस कानून में धारा 378 से 389 तक कुल 12 धाराएं हैं। यह धाराएं देवभूमि की संस्कृति के खिलाफ हैं। कोई भी माता पिता अपने बच्चों को विवाह पूर्व संबंधों के लिए मान्यता नहीं दे सकते। यह कानून अवैध संबंधों को संरक्षण प्रदान करता है। जिस पर हमें घोर आपत्ति है। संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार जिस नागरिक संहिता की बात कही गई है, यूसीसी उससे बिल्कुल अलग है। अनुच्छेद 44 ऐसे यूसीसी की कल्पना करता है, जो पूरे देश में लागू हो, न की किसी राज्य विशेष तक सीमित रहे। उत्तराखंड में यूसीसी कभी भी सार्वजनिक मांग का हिस्सा नहीं रहा। यह सामाजिक आवश्यकता से अधिक राजनीतिक पैंतरे बाजी के रूप में लाया गया प्रतीत होता है।
कहा कि इस कानून का एक विवादास्पद प्रावधान यह भी है की उत्तराखंड में सिर्फ एक वर्ष तक रहने वाले व्यक्तियों को राज्य का निवासी माना जाएगा। यह खंड सीधे तौर पर विभिन्न संगठनों की लंबे समय से चली आ रही मांगों का खंडन करता है। जो मूल निवासियों के लिए 1950 को कट ऑफ वर्ष के रूप में मान्यता देने की वकालत कर रहे हैं। माहरा ने कहा कि सरकार जिस भी राज्य और समाज के लिए कानून लाती है, संविधान के अनुसार उसमें उसका पूरा पूरा प्रतिनिधित्व होना चाहिए। यूसीसी की समिति में केवल एक सदस्य ही उत्तराखंड के हैं। बाकी सदस्य बाहर के हैं। इससे समझा जा सकता है कि यह कानून कितना राज्य हित में बना होगा।

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