कच्छ के रण से लापता कैप्टन का पता लगाएगी सरकार?

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को भेजा नोटिस

 

नई दिल्ली (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सन् 1997 से लापता सेना के कैप्टन संजीत भट्टाचार्जी की मां की ओर से दायर याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई। कैप्टन संजीत भट्टाचार्जी अप्रैल 1997 में अपनी टीम के साथ पाकिस्तान की सीमा से सटे कच्छ के रण में पट्रोलिंग के लिए गए थे और तभी से लापता हैं।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस संबंध में केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी कर कमला भट्टाचार्जी की याचिका पर जवाब मांगा है। बेंच में जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे। बेंच ने कैप्टन संजीत भट्टाचार्जी की मां के वकील से कहा कि वे लापता सैनिकों के ऐसे ही कुछ और मामलों को भी रिकॉर्ड में लाएं ताकि शीर्ष अदालत उनके बारे में भी जानकारी हासिल कर सके। कैप्टन संजीत 19-20 अप्रैल 1997 की रात को अपने दस्ते के साथ पेट्रोलिंग के लिए निकले थे। अगले दिन दस्ते के 15 सदस्य अपने कैप्टन और उनके शैडो लांस नाईक राम बहादुर थापा के बिना ही लौटे। इसके बाद से ही ये दोनों लापता हैं। कैप्टन संजीत के पिता का नवंबर 2020 में निधन हो गया। उनकी 81 वर्षीय मां ने करीब 24 सालों तक अपने बेटे का इंतजार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से सरकार और रक्षा मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे कैप्टन संजीत का पता लगाएं और उनके परिवार को इससे अवगत कराएं कि वह कहां हैं। साल 2005 में रक्षा मंत्रालय ने कैप्टन संजीत को मृत घोषित कर दिया था लेकिन साल 2010 में राष्ट्रपति सचिवालय ने कमला भट्टाचार्जी को चि_ी लिखकर यह सूचना दी थी कि उनके बेटे का नाम प्रिजनर ऑफ वॉर्स में शामिल कर दिया गया है जिसे मिसिंग 54 के नाम से भी जाना जाता है।

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