जुर्माना माफ करने के मामले में अंतिम सुनवाई पांच नवंबर को

हल्द्वानी(आरएनएस)।  हाईकोर्ट ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रशरों का करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना माफ कर देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने मामले की अंतिम सुनवाई के लिए पांच नवंबर की तिथि नियत की है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा है कि जो शपथ पत्र पूर्व के आदेश पर सचिव खनन ने पेश किया है, वे उस पर वह अपना जवाब दे सकते हैं। पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने सचिव खनन से पूछा था कि क्या जिलाधिकारी को यह अधिकार है कि वह पहले जुर्माना लगाएं और रिकवरी का नोटिस जारी करें। फिर बाद में सुनवाई के बाद जुर्माना माफ कर दें? सचिव से संबंधित नियमावली भी कोर्ट में पेश करने को कहा था। बुधवार को राज्य सरकार ने शपथ पत्र के माध्यम से नियमावली पेश की। याचिकाकर्ता ने इस पर असंतोष व्यक्त कर कहा कि जिलाधिकारी को अपने ही आदेश के पुन: परीक्षण का अधिकार नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि लोक प्राधिकार की ऐसी कौन नियमावली है, जिसको सभी के दंड माफ करने एवं दंड देने का अधिकार प्राप्त है। मामले के अनुसार, हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी सामाजिक कार्यकर्ता भुवन पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 2016-17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी ने कई स्टोन क्रशरों के अवैध खनन एवं भंडारण पर करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना माफ कर दिया। याचिकाकर्ता का यह भी आरोप है कि इसकी शिकायत शासन से किए जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।