फिजूलखर्ची: जरूरत नहीं होने के बाद भी किया जा रहा था होटल का संचालन

देहरादून। दून अस्पताल में कोरोना के मरीज एक या दो भर्ती रह रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से होटल किराये पर लेकर फिजूलखर्ची की जा रही थी । डीएम कार्यालय से होटल का भुगतान  नहीं करने की बात कहने पर अब आनन फानन में होटल को छोड़ा गया। कोरोना के मरीज कम होने पर दून अस्पताल ने जून के अंत में सभी होटल बंद कर दिये थे। लेकिन एक होटल का अनुबंध बरकरार रखा गया। इसमें करीब रोजाना 18 डाक्टर एवं कर्मचारी रुक रहे थे। मरीजों के कम होने की दशा में और जरूरत न होने के चलते पूर्व में संबंधित अनुभाग ने कई बार चिट्ठी लिखी। लेकिन अफसरों ने होटल को चालू रखने को कहते रहे। तीन माह का करीब  18 लाख रुपये का बिल है। वहीं डीएम ने भी विगत 18 अगस्त को सभी होटलों का अनुबंध खत्म करने संबंध आदेश सीएमओ और होटल को भेजा। होटल ने भी इस संबंध में कुछ नहीं कहा। इससे होटल प्रबंधन पर भी सवाल है। एमएस डा. केसी पंत का कहना है कि अस्पताल को चिट्ठी नहीं मिली थी। एक कर्मचारी डीएम कार्यालय गये थे, तो वहां पता चला कि अस्पताल से संबंधित चिट्ठी सीएमओ और होटल को गई है। होटल को चिट्ठी जारी कर अनुबंध खत्म करा दिया गया है। डाक्टरों एवं कर्मचारियों ने भी कमरे खाली कर दिये हैं। अस्पताल पर सवाल उठ रहा है कि जब जरूरत नहीं थी तो क्यों इस होटल को चालू रखा गया। बताया गया है कि एक बड़े अफसर के निर्देश पर इस तरह से बिना जरूरत भी होटल का संचालन किया जा रहा था।


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