हिमालय की आबोहवा बिगाड़ रहे तराई के उद्योग
देहरादून। तराई, भाबर में औद्योगिकीकरण के कारण बढ़ रहा प्रदूषण हिमालय और शिवालिक और पहाड़ की हवा को दूषित कर रहा है। पहली बार हवा के नमूनों की रासायनिक जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह ने बताया कि शोध के तहत भीमताल और पंतनगर से हवा के सैंपल लिए गए। नमूनों में 30 फीसदी तक ब्लैक कार्बन, पीएम-2.5, पीएम-10 सहित सभी प्रदूषण फैलाने वाले कारक पाए गए हैं।
पहाड़ों में दोपहर की धुंध का कारण भी प्रदूषण : पर्वतीय क्षेत्रों का मौसम धीरे-धीरे बदल रहा है। सुबह मौसम खुला रहता है, दोपहर के बाद धुंध छाने लगती है। इसकी वजह स्मोक विंड है। दरअसल दिन में तापमान बढऩे पर हवाएं गर्म होकर वायुमंडल में ऊपर उठती हैं। मैदानी क्षेत्र से पहाड़ों की ओर चलने वाली स्लोप विंड अपने साथ प्रदूषण भी पहाड़ तक पहुंचा रही है। जिस कारण तराई से सटे पहाड़ी इलाकों
में धुंध छा रही है।
पहाड़ों की हवा गर्मियों में ज्यादा प्रदूषित
शोध के मुताबिक गर्मियों में पहाड़ों की हवा ज्यादा प्रदूषित हो रही है। भीमताल की हवा में सर्दियों में 90 और गर्मियों में 110 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर टोटल सस्पेंडेड पार्टिकल पाए गए। वहीं तराई में सर्दियों में यह 225 जबकि गर्मियों में 180 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज हुआ है।
भीमताल और पंतनगर क्षेत्रों से लिए गए हवा के नमूनों में 30 फीसदी तक ब्लैक कार्बन, पीएम-2.5, पीएम-10 सहित अन्य प्रदूषण फैलाने वाले कारक पाए गए हैं। इसका कारण उद्योगों में जलने वाले ईंधन, गाडिय़ों, बायोमास बर्निंग है। -डॉ. नरेंद्र सिंह, वायुमंडल वैज्ञानिक एरीज