हरीश रावत जनता के लिए संघर्ष नहीं, बल्कि चेहरे की लड़ाई लड़ रहे: भगत

देहरादून। भाजपा प्रांतीय अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आज जनता के लिए संघर्ष नहीं, बल्कि चेहरे की लड़ाई लड़ रहे हैं। भगत ने हरीश रावत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि जनता के नकारे जाने के बाद वे कुछ समय तो पश्चाताप के घडिय़ाली आंसू बहाते रहे और हार की जिम्मेदारी लेते रहे, लेकिन चुनाव का समय आता देख अब भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं।
कहा कि जिलों के गठन के लिए हरीश रावत का दावा उसी तरह है जैसे गैरसैंण राजधानी घोषित करने का फैसला। गैरसैंण में आम जनता की मांग भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूरी की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश निरंकुश रहे और वह किसी की नहीं सुनते थे, जिस कारण उनके विधायकों ने भी उनकी सुनना बंद कर दिया और अलग रास्ता चुन लिया। कहा कि अपनी असफलताओं को दूसरे पर थोपने की पूर्व सीएम की आदत में शुमार है। बता दें कि कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार पूर्व सीएम हरीश रावत ने 2022 का विधानसभा चुनाव नहीं लडऩे का ऐलान कर दिया है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी आलाकमान आगे जो निर्देश देगा, वह उसे मानने के लिए तैयार रहेंगे। रावत ने कहा कि वैसे उनकी मंशा है कि वह उत्तराखंड में इस बार कांग्रेस को चुनाव लड़वाएं। कहा कि इसबार कांग्रेस जरूरी वापसी करेगी और सभी उम्मीदवार भारी मतों से अपनी-अपनी जीत दर्ज कराएंगे।
उन्होंने कहा कि वह चुनाव के लिए चेहरा इसलिए घोषित करवाने की बात कर रहे हैं, ताकि भाजपा को पीएम नरेंद्र मोदी को हाशिए में डाल ‘लोकल फॉर वोकल’ के लिए मजबूर होना पड़े। अन्यथा भाजपा की नीति रही है वह ग्राम प्रधान से लेकर निकाय चुनाव हर जगह मोदी को चेहरा बनाकर वोट मांगती है। रावत के ताजा रुख से उन्हें विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने के प्रयासों में जुटे उनके समर्थकों में खलबली मच गई है। हालांकि, रावत ने उनको यह कहकर दिलासा देने की कोशिश की है कि इस मामले में हाईकमान जो कहेगा, वे उसे मानेंगे।


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