
देहरादून(आरएनएस)। राजपुर थाना क्षेत्र के धनौला में कथित भू-माफियाओं ने गोल्डन फॉरेस्ट से जुड़ी प्रतिबंधित और सरकारी जमीन फर्जीवाड़े से बेच दी। मामले में केस दर्ज करने की एसआईटी की संस्तुति रिपोर्ट पुलिस में दबा दी गई। अब कोर्ट के आदेश पर राजपुर थाना पुलिस ने केस दर्ज किया गया। कोर्ट में पुलिस और राजस्व विभाग की एसआईटी पर सवाल उठाए गए। शाकुल उनियाल निवासी गुजराड़ा मानसिंह ने न्यायालय में अर्जी देकर आरोप लगाया था कि प्रशांत डोभाल, राजीव तलवार, मनोरमा डोभाल, नीरू तलवार और भरत सिंह नेगी ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचकर सहस्रधारा रोड स्थित धनौला में प्रतिबंधित गोल्डन फारेस्ट और उसकी सहयोगी कंपनी की जमीन, राज्य सरकार और नदी की जमीनों को फर्जी दस्तावेज बनाकर लोगों को अवैध रूप से बेचकर ठगा। उन्होंने मामले में लिखित शिकायत पहले एक फरवरी 2021 को एसआईटी भूमि, आयुक्त गढ़वाल कार्यालय और डीएम देहरादून को दी थी। इसके बाद एसडीएम सदर को 15 दिसंबर 2022 को शिकायत दी। कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिकायत में कहा कि सुनील कुमार गुप्ता की शिकायत पर एसआईटी ने जांच में फर्जीवाड़े को सही पाया था। 12 अप्रैल 2024 को महानिरीक्षक निबंधन संदीप श्रीवास्तव को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। आरोप है कि संदीप श्रीवास्तव ने जानबूझकर मामले को लगभग तीन माह तक दबाए रखा। दो जुलाई 2024 को उन्होंने एसएसपी देहरादून को केस दर्ज करने की रिपोर्ट भेजी। यह रिपोर्ट पुलिस में दबा दी गई। आरोप लगाया कि भू-माफियाओं ने पुलिस का दुरुपयोग करते हुए पीड़ित शाकुल उनियाल और एक अन्य के खिलाफ पिछले साल राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया। कोर्ट ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए राजपुर थाना पुलिस को मामले में केस दर्ज करने का आदेश दिया। राजपुर थाने के निरीक्षक प्रदीप सिंह रावत ने बताया कि मामले में धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।





