गैर-मुस्लिमों को मिलेगी भारत की नागरिकता, गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर शरणार्थियों से मांगे आवेदन

नई दिल्ली (आरएनएस)।  केंद्र सरकार ने शरणार्थियों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मचे बवाल के बाद अब गृह मंत्रालय की तरफ से एक गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया गया है। केंद्र ने देश के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है। इसके लिए इन लोगों से आवेदन मंगाए गए हैं। इस गैजेट में गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में रह रहे हिंदू, सिख, जैन और बौद्धों जैसे गैर मुस्लिमों से नागरिकता के लिए आवेदन मांगे गए हैं। जानकारी के अनुसार गृह मंत्रालय ने नागरिकता कानून-1955 और उसके तहत 2009 में बनाए गए नियमों के अंतरगत इस निर्देश के तत्काल क्रियान्वयन के लिए अधिसूचना जारी की है। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने 2019 में अमल में आए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत अभी नियम-कायदे तय नहीं किए हैं। इस कानून का देश के कई हिस्सों में जबरदस्त विरोध हुआ था। केंद्र सरकार ने 28 मई को यह आवेदन मंगवाने शुरू किए हैं। गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि नागरिकता कानून-1955 की धारा-16 में दिए गए अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को धारा-5 के तहत भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने या धारा-6 के अंतर्गत भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र देने का फैसला किया है। मोरबी, राजकोट, पाटन, वडोडरा (गुजरात), दुर्ग और बलोदाबाजार (छत्तीसगढ़), जालौर, उदयपुर, पाली, बाड़मेर, सिरोही (राजस्थान), फरीदाबाद (हरियाणा) तथा जालंधर (पंजाब) में रह रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम इसके तहत भारतीय नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के पात्र हैं। 2019 में सीएए कानून बनाया गया था, तो देश के विभिन्न हिस्सों में इसके खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे। यहां तक कि इन विरोधों के मद्देनजर 2020 की शुरुआत में राजधानी दिल्ली में दंगे भी हुए थे। इसके बाद ही यह कानून अभी तक ठंडे बस्ते में है। सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीडऩ के शिकार उन हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे।
गृह मंत्रालय ने कहा कि शरणार्थियों के आवेदन का सत्यापन राज्य के सचिव या जिले के डीएम द्वारा किया जा सकेगा। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल होंगे। इसके अलावा डीएम या राज्य के गृह सचिव केंद्र के नियमों के अनुसार एक ऑनलाइन और लिखित रजिस्टर बनाएंगे, जिसमें भारत के नागरिक के रूप में शरणार्थियों के पंजीकरण की जानकारी होगी। इसकी एक प्रति सात दिनों के अंदर केंद्र सरकार को भेजनी होगी।

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