
अल्मोड़ा। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र चौखुटिया के मेडिकल स्टाफ ने अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और अपमानजनक व्यवहार के विरोध में शनिवार को गहरा रोष प्रकट किया। स्टाफ ने काली पट्टी बांधकर कार्य किया और अपने साथ हो रही घटनाओं के खिलाफ जिलाधिकारी तथा प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ को उपजिलाधिकारी द्वाराहाट सुनील कुमार राज के माध्यम से ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले कुछ दिनों से अस्पताल परिसर में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा चिकित्सकों को डराने-धमकाने और राजकीय कार्यों में व्यवधान डालने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। कई बार अस्पताल में नारेबाजी और अभद्र भाषा का प्रयोग कर भय का माहौल बनाया गया है। स्टाफ का कहना है कि सभी चिकित्सक चौबीसों घंटे पूरी निष्ठा और उपलब्ध संसाधनों के साथ स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इस तरह के माहौल में काम करना कठिन होता जा रहा है। अस्पताल की महिला चिकित्साधिकारी डॉ. दीप्ति शिखा और डॉ. सुरभि माथुर ने अपने साथ हुए अभद्र व्यवहार की मौखिक शिकायत दी है।
डॉ. दीप्ति शिखा ने बताया कि हाल ही में अस्पताल में एक व्यक्ति ने उनके साथ बदसलूकी की, ऊंची आवाज में बात की और बिना अनुमति वीडियो बनाने लगा। विरोध करने पर उसने वीडियो बनाना बंद किया। वहीं, 21 अक्टूबर को एक अन्य व्यक्ति ने उनसे अभद्र व्यवहार करते हुए बाहर मिलने की धमकी दी। इसी तरह 10 अक्तूबर की रात एक मरीज के तीमारदार ने डॉ. सुरभि माथुर से भी अभद्र भाषा में बात की। स्टाफ ने कहा कि इन घटनाओं से महिला चिकित्सक भयभीत हैं और उन्हें अपनी जान-माल का खतरा महसूस हो रहा है। बिना अनुमति वीडियो बनाकर उन्हें सोशल मीडिया पर प्रसारित किया जा रहा है, जिससे डॉक्टरों और स्टाफ के आत्मसम्मान, मनोबल और मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि 23 अक्टूबर को दोपहर लगभग दो बजे कुछ लोग अस्पताल परिसर में पहुंचकर डॉ. अमित रतन सिंह के खिलाफ नारेबाजी और गाली-गलौज करने लगे। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। स्टाफ का कहना है कि जिन मरीजों को उपचार और भोजन न मिलने के आरोप लगाए गए, उन्हें समय पर इलाज और सुविधा दी गई थी, जिसकी जानकारी सीसीटीवी फुटेज और अस्पताल के रिकार्ड में उपलब्ध है। पुलिस और प्रशासन के हस्तक्षेप से स्थिति नियंत्रण में आई।
मेडिकल स्टाफ ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से वे गहरी मानसिक पीड़ा में हैं और लगातार हो रही बदसलूकी से उनका मनोबल प्रभावित हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग सुनियोजित तरीके से अस्पताल और चिकित्सकों की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। स्टाफ ने बताया कि अस्पताल में अप्रैल 2025 से अब तक 20,615 ओपीडी, 2,337 आपातकालीन सेवाएं, 1,033 आईपीडी और 126 सामान्य प्रसव कराए गए हैं। इसके बावजूद भी यदि उत्पीड़न की स्थिति बनी रही तो चिकित्सक कार्य बहिष्कार करने को बाध्य होंगे। मेडिकल स्टाफ ने प्रशासन से घटनाओं की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।





