धुमाकोट महोत्सव में लोक कलाकारों ने मोहा मन

पौड़ी। दो दिवसीय धुमाकोट महोत्सव के दूसरे दिन लोक कलाकारों ने लोक संगीत के जरिए दर्शकों का मन मोह दिया। संस्कृति विभाग की टीम संदेश कला मंच के कलाकारों ने संजय रावत व संगीता बुढ़ाकोटी के नेतृत्व में बेहतरीन रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। परंपरागत वाद्य यंत्रों, ढोल,दमाऊं, मशकबीन, सराऊं नृत्य आदि लोक कलाकारों ने भी दर्शकों का मन मोह लिया।  ब्लाक प्रमुख प्रशांत कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व अति विशिष्ट अतिथि कर्नल अजय कोठियाल सहित सभी विशिष्ट अतिथियों ने स्व. आनंद सिंह गुसाईं की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्व. आनंद सिंह गुसाईं की पत्नी कपोत्री देवी व पुत्र संदीप गुसाईं को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान अनेक विशिष्ट अतिथि जितेंद्र रावत मोनी, गणेश रावत, प्रो. एमपीएस बिष्ट, नीरज पंत, उमेश त्रिपाठी, स्व आनंद सिंह गुसाईं चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज पटवाल, महासचिव कमलेश कंडारी, अर्जुन पटवाल, पूर्व प्रमुख रश्मि पटवाल, रघुबीर बिष्ट, नीलम मैंदोलिया, मधु बिष्ट, ललित पटवाल, सुरेंद्र प्रताप, दीनदयाल कंडारी, विजयपाल, कपिल रावत, गबरसिंह बिष्ट आदि गणमान्य लोग व बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे। दस मेधावी छात्रों को भी इस मौके पर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन धनपाल सिंह व अर्जुन पटवाल ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण विभाग, राजस्व विभाग, कृषि विभाग, खाद्यान्न सहित अन्य विभागों ने अपने स्टाल लगाए।प्राइम हास्पिटल काशीपुर ने निःशुल्क स्वास्थ्य कैंप लगाकर मरीजों की जांच कर दवा वितरित की।

स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योग स्थापित करने होंगे: त्रिवेंद्र
 धुमाकोट महोत्सव के दूसरे दिन मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा कि महोत्सव का आयोजन स्व. आनंद सिंह गुसाईं द्वारा समाज के लिए उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों में मनोरंजन के साथ-साथ पहाड़ के विकास के लिए चिंतन, विचार विमर्श होना चाहिए। पहाड़ में खेती बागवानी, पशुपालन, कुटीर उद्योगों को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाने के लिए पारंपरिक व वैज्ञानिक तरीकों पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीड़ का पिरुल जंगलों में आग लगने का कारण बनने के बजाए उद्योग के लिए उपयोगी हो सकता है। हमें पर्यावरण बचाने के लिए भी सोचना होगा। बुरांश का फूल दो माह पहले खिलने लगा है। पटेलिया नर्सरी में बेहतरीन किस्म का सेब पैदा हो रहा ह, इस बात की खुशी है किंतु नर्सरी के लिए खाद कोटद्वार देहरादून से मंगानी पड़ती है जबकि स्थानीय स्तर पर ऐसी खाद बनाई जा सकती है। कर्नल अजय कोठियाल ने अपने संबोधन में कहा कि धुमाकोट बीर सैनिकों की भूमि है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम अपने महापुरुषों को समय-समय पर याद करते हैं। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में स्व आनंद सिंह गुसाईं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि फौज में भर्ती की तैयारी के लिए कैंप तो लगाते रहते हैं, अब ओलंपिक में नए शुरू हुए खेल ‘किक बाक्सिंग’ के लिए भी उत्तराखंड के युवाओं के लिए ट्रेनिंग कैंप लगाएंगे।


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