धूमधाम से मनाएं दिवाली, पर रखें सुरक्षा का ख्याल

देहरादून। दीपावली पर पटाखों की चिंगारी, शोर एवं धुआं नुकसानदेह हो सकता है। इसीलिए त्योहार धूमधाम से जरूर मनांए, पर अपनी और दूसरों की सुरक्षा का ख्याल जरूर रखें। कोरोनेशन की बर्न यूनिट के प्रभारी डा. कुश एरन का कहना है कि पटाखे चलाते समय विशेष एहतियात बरतें। बच्चों एवं बुजुर्गों को तेज आवाज वाले पटाखों से दूर रखें। ईएनटी विशेषज्ञ डा. विकास सिकरवार और डॉ. पीयूष त्रिपाठी के मुताबिक पटाखों से 80 डेसिबल से अधिक स्तर की आवाज निकलती है। जिस कारण बहरापन, उच्च रक्तचाप और अनिद्रा जैसी स्थिति आ जाती है। सांस एवं दमा रोग विशेषज्ञ डा. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि धुएं से बच्चे, गर्भवती महिलाएं और सांस की दिक्कतों वालों को समस्या हो सकती हैं। हवा में धूल के कणों के साथ घुले बारूद के कण और धुएं के संपर्क में ज्यादा देर रहने वालों को खांसी, आंखों में जलन, त्वचा में चकत्ते पड़ने के साथ उल्टी की समस्या भी हो सकती है।

स्किन और आंखों पर बुरा प्रभाव:   चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल आर्य, डा. सादिक उमर, डा. नाजिया खातून और डा. भव्या संगल बताते हैं कि पटाखे सर्तकता से नहीं चलाने पर त्वचा झुलस सकती है और इस पर लंबे समय तक जले का निशान बना रहता है। पटाखों के जलने से त्वचा, बाल और आंखों की पुतलियों को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है। पटाखों में मौजूद नुकसानदेह रसायन त्वचा में शुष्कता और एलर्जी पैदा करते हैं। रसायनों के फैलने से बालों के रोमकूप कमजोर पड़ जाते हैं। बाल टूटने लगते हैं और बालों की प्राकृतिक संरचना भी बिगड़ती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. सुशील ओझा और डा. चिराग बहुगुणा ने बताया कि पटाखों के कारण आखों में जरा सी चोट भी एलर्जी और नेत्रहीनता की स्थिति पैदा करती है। दुर्घटना से बचने के लिए चश्मा आदि पहनें। रंगोली बनाने के बाद अपनी आंखों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। ताकि रासायनिक पदार्थ आंख में न जाएं।

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