ब्रिटेन में अब किया जा सकेगा कौवों का शिकार

लंदन। इंग्लैंड में अब जंगली पक्षियों, कौवों आदि को कत्ल किया जा सकता है. शिकार के लिए पाले जाने वाले पक्षियों की हिफाजत के लिए जंगली पक्षियों को कत्ल करने की इजाजत दी गई है.इंग्लैंड में अब लोग जंगली पक्षियों को गोली मार सकते हैं ताकि वे शिकार के लिए पाले जा रहे अपने पक्षियों की रक्षा कर सकें. देश में हर साल करोड़ों खूबसूरत पक्षी सिर्फ इसलिए पाले पोसे जाते हैं ताकि उनके साथ शिकार का खेल खेला जा सके. इन पक्षियों को पालने वाले उन्हें खिला-पिलाकर मोटा ताजा कर देते हैं ताकि उनकी रफ्तार कम रहे और शिकार का मौसम आने पर उन्हें निशाना बनाना आसान हो. लेकिन शिकारी पक्षी भी उनकी ताक में रहते हैं और उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं. देश में कई साल से यह बहस चल रही थी कि इंसानों के शिकार के लिए पाले जाने वाले पक्षियों को बचाने के लिए शिकारी पक्षियों को मार देने का अधिकार दिया जाना चाहिए या नहीं. 3 जनवरी को इंग्लैंड के पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. परिभाषा में बदलाव नए दिशा निर्देशों में लाइवस्टॉक की परिभाषा में बदलाव कर दिया गया है जिसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि शिकारी पक्षियों को कब पालतू माना जाएगा और कब नहीं. इसके अलावा निशानेबाजी के लिए इंग्लैंड में दिए जाने वाले लाइसेंस के नियमों में भी बदलाव किया गया है. नए नियमों के तहत गेमकीपर्स यानी शिकार के लिए पक्षी पालने वाले कौवों की विभिन्न प्रजातियों को उस सूरत में गोली मार सकते हैं जब वे उनके पालतू पक्षियों जैसे तीतर आदि के लिए खतरा बन रहे हों. लेकिन इसके लिए शर्त है कि ये गेमकीपर्स अपने पक्षियों की सुरक्षा का दावा तभी कर सकते हैं जबकि उन्हें बंद परिसरों में रखा गया हो या फिर वे खुले घूमते हों लेकिन दाना-पानी आदि के लिए उन पर निर्भर हों. शिकार और पालन इस कानून को लेकर उलझन यह थी कि जिस तरह मांस के लिए पाले जाने वाले मुर्गे-मुर्गियां पालतू पशुओं की श्रेणी में आते हैं, वैसा तीतरों के लिए नहीं था क्योंकि उन्हें भोजन के लिए नहीं पाला जाता.
ब्रिटिश कानून के तहत आप उन पशु-पक्षियों का शिकार नहीं कर सकते जिन्हें भोजन के लिए पाला जाता हो. अब यदि तीतरों को पालतुओं की श्रेणी में रखा जाए तो फिर खेल के लिए उनका शिकार अवैध हो जाता. इस उलझन से बचने के लिए यह तरीका निकाला गया है कि तीतरों को पालतू भी माना जाए और ‘गेम बर्ड भी. लेकिन एक बार में दोनों में से एक ही परिभाषा लागू होगी. अब जब उन्हें शिकार के लिए जंगल में छोड़ा जाएगा तब वे ‘गेम बर्ड कहलाएंगे. जैसे ही शिकार का मौसम खत्म होगा, तीतरों को जमा कर वापस बाड़ों में लाया जाएगा और तब उन्हें पालतू माना जाएगा. ऐसे में किसानों को उनकी रक्षा का अधिकार होगा.