आतंकवादियों के प्रवक्ता बनकर आए भुट्टो, जयशंकर ने ‘इज्जत’ से धोया
नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पाकिस्तान के अपने समकक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी को एक बार फिर खूब खरी-खरी सुनाई। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि बिलावल आतंकवादी देश के प्रवक्ता बनकर आए थे। जयशंकर ने कहा कि बतौर एससीओ सदस्य देश के मंत्री होने के नाते उनका इज्जत के साथ स्वागत किया गया। लेकिन वे एक आतंकवाद के प्रवक्ता की तरह पेश आए।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “एससीओ सदस्य देश के विदेश मंत्री के तौर पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ बाकी सदस्य देशों के विदेश मंत्री की तरह ही व्यवहार किया गया। लेकिन आतंकवाद के प्रोमोटर, प्रोटेक्टर और आतंकवाद उद्योग के प्रवक्ता के तौर पर उनकी (पाकिस्तान) पोजीशन को काउंटर किया गया।”
भुट्टो ने कश्मीर पर दिए थे भड़काऊ बयान
जयशंकर का इशारा भुट्टो की प्रेस कॉन्फ्रेंस की ओर था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने आतंकवाद से निपटने के लिए एससीओ द्वारा सामूहिक दृष्टिकोण अपनाने और ‘‘कूटनीतिक फायदे के लिए आतंकवाद को हथियार’’ के तौर पर इस्तेमाल नहीं करने का शुक्रवार को आह्वान किया। भुट्टो ने भारत के जम्मू कश्मीर पर भी भड़काऊ बयान दिया था।
इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान आतंकी इंडस्ट्री का प्रवक्ता है। उसकी किसी भी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। पाकिस्तान को आइना दिखाते हुए भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि भुट्टो की भारत यात्रा को केवल SCO बैठक तक ही सीमित देखा जाए। इसके कोई और मायने न निकाले जाएं। उन्होंने कहा कि पीड़ित और साजिशकर्ता एक साथ नहीं बैठ सकते।
जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग था, है और रहेगा- जयशंकर
अगस्त 2019 में भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई। बता दें कि भारत जी20 की भी अध्यक्षता कर रहा है। इस सिलसिले में एक बैठक जम्मू कश्मीर में भी आयोजित की जाएगी। इस पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने विरोध जताया। भुट्टो को जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, “जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग था, है और रहेगा। देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी जी-20 की बैठकें हो रही हैं, इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है।”
जयशंकर ने कथित सीपीईसी को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान-चीन के बीच तथाकथित कॉरिडोर के बारे में बैठक में एक नहीं दो बार ये स्पष्ट कर दिया गया कि कनेक्टिविटी विकास के लिए जरूरी है लेकिन कनेक्टिविटी किसी की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन नहीं कर सकती।”