भारत में स्पुतनिक लाइट के आपात इस्तेमाल को डीसीजीआई ने दी मंजूरी

स्वास्थ्य मंत्री ने दी जानकारी

नई दिल्ली (आरएनएस)। कोरोना संक्रमण के बीच वैक्सीन को सबसे ताकतवर हथियार के रूप में देखा जा रहा है। यही कारण है कि सरकार देश के हर नागरिक को वैक्सीन लगवाने पर जोर दे रही है। कोरोना से लड़ाई में भारत को अब एक और वैक्सीन मिल गई है। डीसीजीआई ने भारत में सिंगल-डोज स्पुतनिक लाइट के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में अब सिंगल-डोज़ स्पुतनिक लाइट का आपात इस्तेमाल किया जा सकता है। डीसीजीआई की इस मंजूरी के बाद देश की ये 9वीं वैक्सीन हो गई है।

पिछले साल सितंबर में ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने भारत में रूस की स्पुतनिक लाइट वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए इजाजत दी थी। स्पुतनिक लाइट को ट्रायल की मंजूरी देने के लिए कोरोना पर बनी सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने सिफारिश की थी। स्पुतनिक लाइट वैक्सीन देने के बाद किसी व्यक्ति में खतरनाक साइड इफेक्ट नहीं देखे गए हैं।

स्पुतनिक-वी और स्पुतनिक लाइट में सबसे बड़ा फर्क डोज का है। स्पुतनिक-वी का टीका दो बार लेना पड़ता है जबकी स्पुतनिक लाइट का एक डोज ही काफी है। हालांकि, दोनों के असर की बात करें तो लैंसेट की एक स्टडी के मुताबिक कोविड-19 वायरस के खिलाफ स्पुतनिक लाइट के मुकाबले स्पुतनिक-वी का टीका ज्यादा कारगर है। दो डोज में दिया जाने वाले स्पुतनिक-वी में दो अलग-अलग वैक्टर का इस्तेमाल किया गया है।

कोरोना के खिलाफ स्पुतनिक-वी का प्रभाव करीब 91.6 फीसदी है, जबकि स्पुतनिक लाइट का प्रभाव इस वायरस पर 78.6 से 83.7 फीसदी के बीच है। स्टडी में बताया गया है कि स्पुतनिक लाइट से मरीज के अस्पताल में भर्ती होने का खतरा 87.6 फीसदी तक कम हो जाता है। वहीं स्पुतनिक-वी ओमिक्रॉन के खिलाफ 75 प्रतिशत तक प्रभावी है। गमालेया प्रमुख ने कहा कि अगर किसी को छह महीने में स्पुतनिक लाइट बूस्टर डोज दी जाती है तो इस नए वायरस के खिलाफ उसकी सुरक्षा 100 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। उन्होंने आगे कहा कि जब किसी को कोई भी वैक्सीन डोज दी जाती है तो उसकी प्रभावशीलता 21 गुना कम हो जाती है, जबकि स्पुतनिक वी में यह केवल 8 गुना कम होती है। हालांकि इतनी सुरक्षा अभी भी पर्याप्त है।

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