बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने फेरा काश्तकारों की मेहनत पर पानी

उत्तरकाशी। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने काश्तकारों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। सबसे अधिक नुकसान नकदी फसल और बागवानी के काश्तकारों को हुआ है। अप्रैल माह से लेकर अभी तक 15 से अधिक बार ओलावृष्टि हो चुकी है। बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं, मटर, मसूर की फसल भी खासी प्रभावित हुई है। दरअसल इस बार मौसम का मिजाज कुछ अलग ही है। गत अप्रैल माह में हर्षिल घाटी में पांच बार बर्फबारी हुई, जिससे सेब की बागवानी को भारी नुकसान हुआ। जबकि स्यूरी फल पट्टी, भटवाड़ी, रैथल, बार्सू, आराकोट, मोरी और पुरोला क्षेत्र में अप्रैल माह में दस बार ओलावृष्टि हुई। जिससे सेब, आडू, नाश्पाति, पुलम आदि के फूल और टहनियां टूटकर गिरी। लेकिन, उसके बाद भी मौसम शांत नहीं हुआ है। एक मई से जनपद में हर दिन शाम को बारिश हो रही है। बारिश के साथ कई स्थानों पर भारी ओलावृष्टि हुई है, जिससे नकदी फसलों को सबसे अधिक नुकसान हुआ। टमाटर, खीरा, बैंगन, शिमला मिर्च, गोभी की पौध ओलावृष्टि से नष्ट हो गई हैं। उत्तरकाशी के प्रगतिशील काश्तकार दलवीर चौहान कहते हैं कि इस समय छप्पन कद्दू और फलों में आडू तैयार थे। लेकिन, गत दिनों ओलावृष्टि ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है। छप्पन कद्दू के पत्ते और फूल ओलावृष्टि से टूट गए हैं। इसी तरह आडू की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा है। कुछ फल ओलावृष्टि के कारण गिर चुके हैं, जबकि जो फल पेड़ों पर हैं उन पर दाग पड़ गए हैं। हर्षिल के प्रधान दिनेश रावत ने कहा कि मई में हो रही बारिश, बर्फबारी और ओलावृष्टि के कारण सेब की फसल को 60 फीसद से अधिक नुकसान हुआ है। बाड़ागड़ी, भटवाड़ी, असी गंगा, बनचौरा, दिवारीखोल आदि क्षेत्रों में अभी गेहूं की फसल खेतों में है। बारिश के कारण पूरी फसल बर्बाद हो गई है।