बैकुंठ चतुर्दशी मेले में गढ़रत्न नरेंद्र नेगी और अनिल बिष्ट के गीतों ने बांधा समा
श्रीनगर गढ़वाल(आरएनएस)। बैकुण्ठ चतुर्दशी एवं विकास प्रदर्शनी मेले की छठवीं सांस्कृतिक संध्या लोक गायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के नाम रही। इस दौरान उन्होंने त्वीं छई मेरी सौंज्ड्या, फ्योंली बोलु या बुरांश बोलू आदि गीतों से दर्शकों का मनोरंजन किया। मेले में गढ़रत्न नेगी को सुनने के लिए हजारों की संख्या में लोगों को हुजूम उमड़ा। लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने सांस्कृतिक संध्या की प्रस्तुति हे भोले-भोले जय भोले भंडारी गाकर की। जिसके बाद उन्होंने बाबा दूधाधारी, त्वीं छंई, बाजूबंद सुल्पा की साज, तिले धारु बोला हौसीया, सुदी नी देखदू कैसणी, फ्योली बोलूं या बुरांश बोलू, ठंडो रे ठंडो मेरा पहाड़े की हवा ठंडी आदि गीतों की प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इसके बाद लोक गायक अनिल बिष्ट ने चल बैजरों का सैंणा, हे मधुरी, ऐजा है भनुमति पाबौ बाजारा सहित अन्य गानों से दर्शकों को थिरकने को मजबूर किया। इसके बाद उदयमान गायिका अंजली खरे ने मालू गिव्यरलू का बीच, स्वर्गतारा जुन्यली राता को सुणलों गीत की प्रस्तुती देकर दर्शकों को भी गाना गाने को मजबूर कर दिया। मंगलवार रात को सांस्कृतिक संध्या का उदघाटन भाजपा जिलाध्यक्ष सुषमा रावत ने किया। कहा कि मेले हमारी लोक संस्कृति द्योतक हैं, जहां लोगों को मेले मिलाप करने के साथ ही क्षेत्रीय संस्कृति से भी रूबरू होने का मौका मिलता है।